हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,तेहरान,19 जून 2022 को क़ज़ाक़िस्तान के राष्ट्रपति क़ासिम जोमार्त तोकाएफ़ ने रविवार की शाम अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ इस्लामी इंक़ेलाब के लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई से मुलाक़ात की हैं।
इस मुलाक़ात में सुप्रीम लीडर ने ईरान-कज़ाख़िस्तान के गहरे ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंधों की ओर इशारा करते हुए अनेक मैदानों ख़ास तौर पर क्षेत्रीय मामलों में दोनों मुल्क़ों के बीच सहयोग को पहले से ज़्यादा बढ़ाने पर ज़ोर दिया।
उन्होंने राजनैतिक व आर्थिक मामलों में समन्वय को संबंधों के विस्तार के लिए ज़रूरी बताया और संयुक्त आयोग के सक्रिय होने पर ताकीद करते हुए कहाः समझौतों पर अमल और उन्हें लागू करने के लिए दोनों पक्षों को दुगनी मेहनत करनी चाहिए।
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने ईरान-कज़ाख़िस्तान के बीच सांस्कृतिक सहयोग को भी अहम बताते हुए कहाः एक मुसलमान दार्शनिक व विद्वान की हैसियत से फ़ाराबी, जो मूल रूप से कज़ाख़िस्तान के इलाक़े के थे और ईरान में 1000 साल तक उनकी किताबों पर शोध व अध्ययन हुआ, दोनों मुल्कों के बीच सांस्कृतिक सहयोग व संयुक्त वैज्ञानिक कमेटी के गठन की बुनियाद बन सकते हैं।
उन्होंने इसी तरह युक्रेन के मसले पर बात करते हुए कहा कि युक्रेन के मामले में बुनियादी मुश्किल यह है कि पश्चिमी देश, नैटो का विस्तार करने की कोशिश कर रहे हैं और जहाँ भी मुमकिन हो, वे अपना प्रभाव फैलाने की फ़िक्र में लग जाते हैं।
इस्लामी क्रांति के लीडर ने कहा कि मामलों पर गहराई से नज़र रखना, उनकी समीक्षा करना और पूरी तरह चौकन्ना रहना चाहिए, क्योंकि अमरीकी और पश्चिम वाले हमेशा पूर्वी और पश्चिम एशिया सहित अनेक इलाक़ों में अपने प्रभाव का दायरा बढ़ाने और देशों की स्वाधीनता व संसाधनों को नुक़सान पहुंचाने की कोशिश में रहते हैं।
इस मुलाक़त में, जिसमें राष्ट्रपति सैयद इब्राहीम रईसी भी मौजूद थे, कज़ाख़िस्तान के राष्ट्रपति क़ासिम जोमार्त तोकाएफ़ ने कहा कि राष्ट्रपति रईसी के साथ वार्ता बहुत रही और दोनों पक्षों के बीच जिन दस्तावेज़ों पर दस्तख़त हुए हैं, उनसे दोनों मुल्कों के संबंधों के बेहतर होने का रास्ता समतल हो सकता है।
उन्होंने ईरान–कज़ाख़िस्तान के बीच गहरी ऐतिहासिक समानताओं का हवाला दिया और महान दार्शनिक फ़ाराबी के संबंध में एक वैज्ञानिक कमेटी के गठन के सुप्रीम लीडर के सुझाव का स्वागत करते हुए क्षेत्र के मामलों और युक्रेन के हालात के बारे में अपने विचार व्यक्त किए और पिछले साल जनवरी में बग़ावत की नाकाम कोशिश के बाद पैदा होने वाले अपने मुल्क के ख़ास हालात पर रौशनी डाली।
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