हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , लखनऊ, कर्बला मज़लूम की हिमायत, शांति और न्याय की आवाज़ के विषय से संस्था तनज़ीमुल मकातिब द्वारा जमीअतुल मुस्तफा की भागीदारी के साथ तीन दिवसीय इंटरफेथ सम्मेलन का पहला जलसा मौलाना सय्यद सफी हैदर ज़ैदी सचिव संस्था तनज़ीमुल मकातिब की अध्यक्षता में गोलागंज स्थित संस्था तनज़ीमुल मकातिब परिसर में आयोजित हुआ।
जलसे की शुरुआत पवित्र कुरआने करीम की तिलावत से हुआ। उसके बाद मौलाना सैय्यद सफदर अब्बास बिलाल ने नात ए पाक पढ़ी, रज़ी बिसवानी और मुजीब सिद्दीकी ने बारगाहे शोहदा ए करबला में मंज़ूम नज़राने अक़ीदत पेश किया।
मौलाना नाज़िम अली खैराबादी, मौलाना मिन्हाल रज़ा खैराबादी, मौलाना सय्यद हैदर अब्बास रिज़वी और मौलाना सय्यद नामदार अब्बास दिल्ली ने तकारीर की।
मौलाना अतहर जाफरी ने कहा कि इमाम हुसैन (अ०स०) ने करबला से हम लोगों को सबक दिया है कि हम शांति और न्याय बनाए रखें और शांति एवं न्याय के साथ खड़े रहें, अगर किसी के साथ कोई अन्याय होता है तो उसके खिलाफ आवाज़ उठाएं ताकि इमाम हुसैन का लक्ष्य हमेशा दुनिया में बाक़ी रहे।
डॉ०सैय्यद मोहम्मद कामिल रिज़वी प्रोफेसर बाबू बनारसीदास विश्वविद्यालय ने कहा कि करबला हमें अल्लाह पर पूरा यक़ीन का दर्स देती है। करबला ने दुनिया को यह संदेश दिया कि सफलता हमेशा हक़ को मिलती है, तहरीके करबला ने हर ज़माने में हक़ व बातिल को दुनिया के सामने स्पष्ट किया।
प्रोफेसर बिलक़ीस हुसैनी ने जलसे को संबोधित करते हुए कहा कि इमाम हुसैन (अ०स०) ने मदीना छोड़ते समय तीन महत्वपूर्ण विषयों को बयान किया की मैं करबला लालच में नहीं जा रहा बल्कि ईश्वर के अहकाम की रक्षा करने, सीरते रसूल अकरम (स०अ०) और मौलाए काएनात को बढ़ावा देने और ज़ुल्म व जौर के खिलाफ आवाज़ उठाने और इंसानियत को बचाने जा रहा हूं।