हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, इस्लामी क्रांति के नेता आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनई ने समारोहो मे डफ़्ली बजाने के संबंध मे पूछे गए सवाल का जवाब दिया है। जो लोग शरई मसाइल मे दिल चस्पी रखते है हम उनके लिए पूछे गए प्रशन और उसके जवाब के पाठ का उल्लेख कर रहे है।
प्रश्न: खुशी के अवसर पर महिलाओं के समारोहों (जन्म और विवाह समारोह आदि) में डफली बजाने का क्या हुक्म है?
उत्तरः यदि इसका प्रयोग इस प्रकार किया जाता है कि यह किसी व्यक्ति को सर्वशक्तिमान ईश्वर, मानवयात और नैतिक गुणों से दूर कर दे और उसे भ्रष्टता, अनैतिकता और पाप की ओर धकेलता है, तो हराम है। हर स्थिति मे धार्मिक अवसरों पर वाद्य यंत्रों का उपयोग अहले-बैत (अ.) के समारोहो और मजलिसो की शायाने शान नहीं है, भले ही यह हलाल प्रकार का ही क्यो न हो, अहले-बेत (अ) की पवित्रता और स्थिति का ख्याल रखना आवश्यक है।