۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
सम्मेलन

हौज़ा/शाह चिराग के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए ईरानी दूतावास ने इस्लामिक सेंटर में किया शोक सम्मेलन,कई देशों के राजदूत,उलेमा, विद्वान और बुद्धिजीवी और जर्नलिस्ट ने की शिरकत

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,नई दिल्ली/शाह चिराग के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए ईरानी दूतावास ने इस्लामिक सेंटर में शुक्रवार को शोक सम्मेलन का आयोजन किया गया इसमें कई देशों के राजदूत,उलेमा, दानिशवरों ने  शिरकत की, कार्यक्रम की शुरुआत क़ारी हाफ़िज़ रहमान ने तिलावत कलाम पाक से की, प्रोग्राम की निज़ामत मौलाना मेहदी बाकिर ने किया, शाह चिराग  दरगाह पर  हुए आतंकी हमले से जुड़ा एक वीडियो यहां दिखाया गया, जिसमें सीसीटीवी फुटेज के आधार पर घायल बच्चों के बयानों के साथ आतंकियों की बरबरियत को देखकर लोगो की आंखों में आंसू आ गए।

इस मौके पर ईरानी राजदूत  इराज इलाही की मौजूदगी में भारत की सुप्रीम रिलिजियस अथारिटी आफताबे शरीयत मौलाना डॉ सैयद कल्बे जवाद नकवी ने कहा कि जुल्म और जालिम की हम मजम्मत करते आए और करते रहेंगे, दिल्ली से शुरू हुआ ये आतंकवाद के खिलाफ निंदा अभियान भारत के कोने कोने में किया जायेगा,उन्होंने कहा कुरानपाक  में एक आयत है, लेकिन मुश्किल यह है कि न तो दाएश और न ही उसके समर्थक इस आयत को समझते हैं।
इस मौके पर उन्होंने एक घटना पेश की। जिसमें नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कुत्ते की जान बचाने के लिए जन्नत की गारंटी दी थी। कुरान में कहा गया है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो जानवर बन जाते हैं, लेकिन ये तो उनसे भी बदतर हो जाते हैं।ये  वही जालिम हैंं


मोहतरम कल्बे जवाद ने कहा की एक फ्रांसीसी मारा जाता हैं,तो हज़ारो फतवे आते  हैं लेकिन ईरान मे शिया मुसलमान, बेगुनाह मारे जाते हें तो सभी मौलवी चुप रहते हैं। इसका मतलब है कि जब तक सभी लोग एक साथ नहीं होंगे तब तक उत्पीड़न खत्म नहीं होगा।

पद्म श्री प्रोफेसर अख्तर उल वासे अध्यक्ष खुसरो फाउंडेशन ने कहा कि दाएश कोई नई बात नहीं है, बल्कि वे नए जमाने के खवारिज हैं। पवित्र कुरान में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जिसने एक निर्दोष को मार डाला उसने पूरे उम्मत को मार डाला। यह क्या है।
हम ईरानियों की पीड़ा को समझ सकते हैं और उनके लिए प्रार्थना कर सकते हैं।
मिस्टर अख्तर वासे ने कहा कि यह खवारिज थे जो नेहरवान के युद्ध में नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे। शाह चिराग में जो हुआ वह दुखद है। हम इस दर्द को और भी अधिक समझते हैं क्योंकि हमने दिल्ली, मुंबई, अजमेर और जम्मू कश्मीर में ऐसी घटनाओं का सामना किया है।

  मिस्टर वासे ने अपने तकरीर में कहा कि दहशत मानवता की पूरी दुनिया पर एक दाग है, जो इस्लाम के नाम पर हत्या करता है और हमारे लिए बदनामी का कारण बन रहा है.हम उसकी हर हरकत की निंदा करते है.हम ईरानियों के इस दुख में हम बराबर के भागीदार हैं और कहना चाहते हैं कि दाएश का मुकाबला एक साथ मिलकर करना चाहिए क्योंकि वे सभी के लिए खतरा हैं।

उन्होंने कहा कि ईरान के सऊदी अरब पर हमला करने के नाम पर जो खबर सार्वजनिक की गई, वह इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि दुनिया ईरान के खिलाफ किस तरह की साजिश कर रही है।  ऐसी बातों से हमें अवगत होने की जरूरत है।

चुनाव आयोग के पूर्व सदस्य और पूर्व सांसद सरदार त्रिलोचन सिंह ने कहा कि हम इस बेरहम अपराध की कड़ी निंदा करते हैं। हज़रत शाह चिराग में बेगुनाहों की हत्या मानवता की हत्या है आतंकवादियों का किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।  ईरान में मानवता की हत्या की गई है। उन्होंने कहा कि सूफीवाद को ईरान और ईरान से आए सभी सूफियों ने महत्व दिया है।

देश दुनियां से अपनी तकरीरों से आंतकवाद की नाक में दम करने वाले शिया स्कॉलर मौलाना सैयद कल्बे रुशैद रिजवी ने अपने संबोधन में कहा कि हमें इससे परे सोचना होगा अन्यथा हर कोई ऐसा करके, हर कोई कहेगा चुप रहो, मैंने देश के उन सभी लोगों से बात की है जो आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ना चाहते हैं।  ईरान की आबादी से दस गुना ज्यादा लोग ईरानियों से प्यार करते हैं और उन्हें अपना दोस्त मानते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने देश के पांच विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से बात की, दो प्रमुख अखाड़े हैं, जिन्होंने आतंकवाद की निंदा और निंदा की।

टीपी श्रीवास्तव, ईरान में भारत के पूर्व राजदूत ने बिस्मिल्लाह के साथ अपनी बात शुरू की और कहा कि शाह चिराग भक्ति का स्थान है जहां यह अन्याय हुआ था।  मैं वहां कई बार गया हूं और बहुत करीब से देखा है।  मैंने ईरान में गुरुद्वारों को देखा है, जहां अन्य धर्मों का सम्मान किया जाता है। आतंकवाद पूरी मानवता के लिए खतरा है। मुझे आशा है कि भगवान शाह चिराग के वारिसों को धैर्य देंगे।

मौलाना मेहदी बाकिर ने इस अवसर पर  एक शोक कविता प्रस्तुत की गई शहीद शाह चिराग की याद में,

अंत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने शोक सभा में भाग लेने और दुख में साझा करने के लिए सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया।

इस मौके पर मौलाना सय्यद तक़ी रज़ा नक़वी, मौलाना ज़फर अल्हासन, डाक्टर तसलीम रहमानी, मौलाना सय्य्द जलाल हैदर नक़वी, सैयद अशरफ जैदी,खुर्शीद रब्बानी,बहादुर अब्बास, शम्स तबरेज कासमी,अंजुम जाफरी समेत बड़ी संख्या में दानिश्वर और पत्रकार शामिल हुए।

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