۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
Iran

हौज़ा/एक्सपीडिएंसी काउंसिल के मेंबर सैय्यद मुर्तज़ा नबवी से बात की जिन्होंने हालिया दंगों में ईरानी क़ौम के ख़िलाफ़ दुश्मन की हाइब्रिड वॉर के बारे में अपना जायज़ा पेश किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हालिया दंगों में दुश्मन की ओर से सभी मुमकिन संसाधनों के इस्तेमाल का ज़िक्र करते हुए, उसे ईरानी क़ौम के ख़िलाफ़ एक तरह की हाइब्रिड वॉर बताया और इसे सिर्फ़ सड़क पर होने वाले दंगे से कहीं आगे का मंसूबा बताते हुए कहा कि इसके पीछे बहुत गहरी साज़िश थी। दुश्मन ने एक तरह की हाइब्रिड वॉर शुरू की है, हाईब्रिड वॉर, यह बात मैं आपसे इन्फ़ॉर्मेशन की बुनियाद पर कह रहा है। दुश्मन यानी अमरीका, इस्राईल, यूरोप की कुछ दुष्ट ताक़तें, कुछ छोटे बड़े गुट सभी संसाधनों के साथ मैदान में आ गए।

एक्सपीडिएंसी काउंसिल के मेंबर सैय्यद मुर्तज़ा नबवी से बात की जिन्होंने हालिया दंगों में ईरानी क़ौम के ख़िलाफ़ दुश्मन की हाइब्रिड वॉर के बारे में अपना जायज़ा पेश किया।
एक्सपीडिएंसी काउंसिल के मेंबर से इंटरव्यू:
सवालः इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने स्कूली छात्रों के दिन 4 नवम्बर के मौक़े पर स्टूडेंट्स से मुलाक़ात में हालिया घटनाओँ में दुश्मन के मंसूबों को हाइब्रिड वॉर बताया। हाइब्रिड वॉर और दूसरी तरह की जंगों में क्या फ़र्क है और सियासी टर्मिनालोजी में यह लफ़्ज़ कब से इस्तेमाल हो रहा है?

हाइब्रिड वॉर में, जैसा कि इसके नाम से ज़ाहिर है, दुश्मन या मद्देनज़र मुल्क को उखाड़ फेंकने के लिए सभी तरह के समाजी, सियासी, इकनॉमिक और कल्चरल संसाधनों को इस्तेमाल किया जाता है। यह विषय दूसरी वर्ल्ड वॉर और कोल्ड वार के बाद प्रचलित हुआ। फ़्रैंक हॉफ़मैन को इस विचार की बुनियाद रखने वाला माना जाता है। इस जंग में दुश्मन अलग अलग तरह के हथकंडे अपनाता है। चुनाव में गड़बड़ी करवाना और नतीजे को दुश्मन की मर्ज़ी के मुताबिक़ बदलने के लिए कलर रिवोलूशन, ग़ैर पारम्परिक फ़ोर्सेज़ का इस्तेमाल- जैसा कि मुल्क के भीतर हालिया घटनाओं में देखा गया कि कुछ लोगों को दंगे फैलाने का काम सौंपा गया था- दुश्मन की ओर से मुल्क के भीतर अशांति का समर्थन, प्रॉक्सी वॉर, मनोवैज्ञानिक हमले, डिप्लोमेसी का ग़लत इस्तेमाल, प्रचारिक युद्ध, वर्चुअल स्पेस में साइबर हमले, ये सब इस जंग के हथकंडे हैं। हमारे मुल्क की हालिया घटनाओं में साइबर अटैक और प्रचारिक जंग बहुत तेज़ थी और जैसा कि बताया गया समाज की मानसिकता बदलने के लिए रोबोट का भी इस्तेमाल हुआ।
लंबे वक़्त से पश्चिमी ताक़तों ने उन मुल्कों के ख़िलाफ़ कॉगनेटिव वॉरफ़ेयर छेड़ रखी है जिनसे उन्हें चुनौतियों का सामना है। इन मुल्कों पर हमलावर दुश्मन इकनॉमिक वॉर और पाबंदियों का हथकंडे भी इस्तेमाल करता है। कुछ मुल्कों में वक़्त पड़ने पर स्पेशल फ़ोर्सेज़ को भी इसतेमाल करते हैं हमने तो यहाँ  तक देखा कि अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए उन्होंने दाइश को भी इस्तेमाल किया। तो यह हाइब्रिड वॉर पॉलिटिकल, क्लासिकल, गुरिल्ला और साइबर वॉर का समावेश है जिसमें आतंकियों, कूटनीति, आंतरिक दंगों, यहां तक कि इंटरनैश्ल कोर्ट को भी इस्तेमाल करते हैं। हमारे मुल्क की हालिया घटनाओं के बारे में अमरीका की ओर से सेक्युरिटी काउंसिल की अनौपचारिक बैठक बुलाया जाना, इस इंटरनैश्नल इंस्टीट्यूशन के हथकंडे के तौर पर इस्तेमाल होने का एक नमूना था।
दुश्मन का एक और काम मुल्क के बुद्धिजीवियों (इन्टलैक्चुअल्स) के पलायन का रास्ता बनाने के लिए सामाजिक ताने-बाने को बिखेरना है। उनका एक और हथकंडा कल्चरल यलग़ार है ताकि अवाम की आस्थाओं  को कमज़ोर कर दे। वे समाज की आस्थाओं को नए विचारों से बदलना चाहते हैं ताकि जवान नस्ल को अपनी ओर आकर्षित कर सकें।
सवालः हालिया घटनाओं के मुल्क की सियासत और सेक्युरिटी के मैदान पर असर पड़ने के अलावा, इस्लामी जुम्हूरिया के दुश्मनों को इन घटनाओं से क्या हासिल हुआ? मुल्क किस ओर बढ़ रहा था कि दुश्मन ने हालिया दंगों से इस प्रक्रिया को प्रभावित किया और रफ़तार को सुस्त कर दिया।

जवाबः उन्हें समझ में आ गया कि आर्थिक पाबंदियां, जिसे वे बहुत ही ख़तरनाक समझ रहे थे, नाकाम हो चुकी हैं। जब उन्होंने देखा कि ईरान बड़े इत्मीनान से बातचीत में आगे बढ़ रहा है, चूंकि अमरीकियों ने खेल बिगाड़ा था इसलिए वे नहीं चाहते थे कि ये बातचीत किसी नतीजे तक पहुंचे और ईरान सुकून का सांस ले सके। इसी तरह ये दंगे, इलाक़े में इस्लामी जुम्हूरिया की कामयाबियों से बदला लेने के लिए थे। अमरीकियों ने हमारे इलाक़े के लिए बहुत से मंसूबे बनाए थे, वे सीरिया में सरकार गिराना चाहते थे, हिज़्बुल्लाह को कुचलना चाहते थे, इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में मुश्किलें खड़ी करना चाहते थे। यह सारी कोशिशें इस्लामी जुम्हूरिया और इलाक़े में रेज़िस्टेंस के मोर्चे की कोशिशों से नाकाम हो गयीं। इसलिए उन्होंने मुल्क में स्टैबिलिटी, युनिटी और तरक़्क़ी को रोकने के लिए इस तरह की हरकतें कीं, क्योंकि एकजुट और तरक़्क़ी करने वाला ईरान उनके लक्ष्य के रास्ते की रुकावट है।

सवालः हालिया घटनाओं में बड़े पैमाने पर प्रचारिक हमले हुए, ख़ास तौर पर दुश्मन के मीडिया एजेंसियों की ओर से बहुत सी झूठी बातें फैलायी गयीं। इन प्रचारिक हमलों के क्या विशेष पहलू थे, इनसे विदेश के निष्पक्ष टीकाकारों की नज़र में क्या हक़ीक़तें सामने आयीं?

जवाबः यह हमले इतने बड़े पैमाने पर थे कि बताया जाता है कि रोबोट को भी इस्तेमाल किया गया। अलबत्ता ये हाइब्रिड वॉर या साइबर वॉर सिर्फ़ हालिया घटनाओं से विशेष नहीं है, बहुत पहले से चल रही है। दुश्मन ने साइबर स्पेस पर इस तरह काम किया कि अवाम को ख़ास तौर पर जवान नस्ल को धोखा दे सके और उनके अक़ीदों को कमज़ोर कर सके, उनके बीच बेशर्मी के कल्चर को बढ़ावा दे, उन्हें हिंसा सिखाए और अलग अलग तरह के झूठ के ज़रिए -हर दिन कुछ झूठी बातें अवाम के बीच फैलायी जाती थीं- ये कोशिश की कि मुल्क के हालात को ऐसा दिखाए मानो इस्लामी सिस्टम का काम तमाम हो चुका हो। इन मीडिया सरगर्मियों में जासूसी और संपर्क के मैदान की टेक्नालोजी, आर्टिफ़िशल इंटेलिजेन्स और दूसरे साधन इस्तेमाल किए गए और इसी तरह दूसरे मुल्कों की इंटैलिजेन्स के मैदान की महारत को इस्तेमाल किया गया।
अलबत्ता कुछ इंसाफ़ पसंद टीकाकारों, इन्टलैक्चुअल्स और विदेशी इन्टलैक्चुअल्स ने भी इस पैमाने पर यलग़ार को देखते हुए, हक़ीक़त पसंदी का रवैया है, लेकिन हालात मूल रूप से इस तरह आगे बढ़े कि अमरीका के प्रेज़िडेन्ट, यहां तक कि जर्मनी जैसे देशों ने भी इन घटनाओं के तअल्लुक़ से ख़ुल्लम खुल्ला हस्तक्षेपपूर्ण बयान दिया।

सवालः हालिया घटनाओं और दंगों का अवाम और इस्लामी जुम्हूरिया के आगे बढ़ते क़दम पर क्या असर पड़ा? इस तरह की घटनाओं को आगे दोबारो होने से रोकने के लिए क्या उपाय अपनाने चाहिए?

जवाबः दुश्मन का टार्गेट हाइब्रिड वॉर के ज़रिए सिस्टम को ठप्प करना था ताकि आगे की ओर बढ़ते इस क़दम का नतीजा न निकल सके लेकिन अल्लाह के करम और अवाम के सही मौक़े पर मैदान में आ जाने से वे कामयाब नहीं हो सके। अलबत्ता हमें भी इस तजुर्बे से बहुत ज़्यादा सबक़ लेने की ज़रूरत है। अस्ल मुद्दा जवान नस्ल और उस योग्य नस्ल को जागरुक बनाना है जो हमारे समाज की प्रैक्टिकल दुनिया में दाख़िल हो रही हैं और दुश्मनों की यह कोशिश है कि उन्हें अक़ीदे, ज़िन्दगी के अंदाज़ और व्यवहार की नज़र से इस्लामी जुम्हूरिया से अलग कर दे। हमें अपने इस कमज़ोर पहलू को दूर करना चाहिए।


यहाँ पर फ़ैमिली की ज़िम्मेदारी है कि वह अपने बच्चों के साथ ज़्यादा से ज़्यादा संपर्क रखे, उनके साथ दोस्ताना रवैया अपनाए और उन्हें आगाह करे। इस संबंध में एजुकेशन डिपार्टमेंट भी बहुत बड़ा रोल अदा कर सकता है। हमें चाहिए कि हाइब्रिड वॉर को जिसे दुश्मन ने जवान व तालीम याफ़्ता नस्ल के ख़िलाफ़ शुरू किया, गंभीरता से लें और इस मैदान में जो कमियां रह गयी हैं उसे दूर करें।


इसी तरह हमें आने वाले मसलों को पहले से ही भांप लेना चाहिए और क़ौमी मीडिया की क्षमताओं के इस्तेमाल के ज़रिए अवाम के सामने तार्किक तस्वीर पेश करें।  
दुश्मन कॉगनेटिव और हाइब्रिड वॉर में हालात और कमियों से ज़्यादा से ज़्यादा फ़ायदा उठाने की कोशिश में हैं और इन हमलों के मुक़ाबले में ज़्यादा से ज़्यादा तैयारी हमारा फ़रीज़ा है। 
दुश्मन से निपटने का एक सबसे अहम रास्ता नौजवानों और जवानों में उम्मीद का जज़्बा बढ़ाना है। हमें अपने नौजवानों और जवानों को मायूसी से बचाना चाहिए, बल्कि प्रभावी रोल निभाकर मुख़्तलिफ़ मैदानों में उम्मीद जगाना चाहिए। इस काम का टाइटल सत्य बयान करने का जेहाद है, जैसा कि इस बारे में इस्लामी इन्क़ेलाब के सुप्रीम लीडर ने बल दिया है लेकिन यह बयान नई नस्ल के डिस्कोर्स और टर्मिनालोजी से समन्वित हो ताकि उसके साथ संपर्क क़ायम हो सके।

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