हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,यह जवान हैं जिनके नफ़्स उस चीज़ को क़ुबूल करने के लिए तैयार हैं जो उन्हें पेश की जाए। जवान लोगों का नफ़्स साफ़ सुथरे आइने की तरह है जो अपनी फ़ितरत से अलग नहीं हुआ है।
इस आइने में सभी तरह के नक़्श छप सकते हैं। इसलिए उस्ताद को ऐसा उस्ताद होना चाहिए कि वह हिदायत की तरफ़ बुलाए, सुधार की तरफ़ बुलाए, इस्लाम की तरफ़ बुलाए, अच्छे अख़लाक़ की तरफ़ बुलाए, इंसानी वैल्यूज़ की दावत दे, उन वैल्यूज़ की दावत दे जो अल्लाह के नज़दीक अहमियत रखती हैं,
अगर उस्ताद ऐसा करे, तो जिस तरह पैग़म्बर लोगों को गुमराही से हिदायत के तरफ़ ले जाते थे, यह उस्ताद भी इन बच्चों को गुमराही से हिदायत की तरफ़ ले जाएगा। यही पेशा तो नबियों का पेशा है।
इस्लामी जुम्हूरिया को सुधार और ख़ालिस होने की ज़रूरत है। हमारी क़ौम और क़ौम के सभी तबक़ों को सुधार और पाक होने की ज़रूरत है। उन तालीमात की ज़रूरत है जो नबियों की तरफ़ से आयी हैं।
इमाम ख़ुमैनी र.ह.