۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / सत्य को सुनने, देखने और बोलने में असमर्थता वह अंधकार है जिससे पाखंडी पीड़ित होते हैं। गुमराही के अँधेरे से घिरे पाखंडियों के पास मुक्ति का कोई रास्ता नहीं है और ये लोग सच्चे धर्म की ओर नहीं लौट सकते।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

तफसीर; इत्रे क़ुरआन: तफसीर सूरा ए बक़रा

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्राहीम
صُمٌّ بُكْمٌ عُمْيٌ فَهُمْ لاَ يَرْجِعُونَ  सुममुम बुकमुम उमयुम फ़हुम ला यरजेऊन (बक़रा 18)

अनुवाद: वे सब के सब बहरे, गूंगे और अंधे हो गए हैं और वे पीछे हटनेवाले नहीं।

📕 क़ुरआन की तफ़सीर 📕

1️⃣    अँधेरे और गुमराही में रहने वाले मुनाफ़िक़ बहरे, गूंगे और अंधे लोगों की तरह होते हैं।
2️⃣    पाखंडियों में सच सुनने, सच देखने और सच बोलने की ताकत नहीं होती।
3️⃣    पाखण्डी ईश्वरीय ज्ञान और धार्मिक तथ्यों को समझने और उसका मूल्यांकन करने में असमर्थ होते हैं।
4️⃣    तथ्यों को सुनने, देखने और बोलने में असमर्थता वह अंधकार है जिससे पाखंडी पीड़ित होते हैं।
5️⃣    गुमराही के अँधेरे से घिरे पाखंडियों के पास मुक्ति का कोई रास्ता नहीं है और ये लोग सच्चे धर्म की ओर नहीं लौट सकते।
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📚 तफसीरे राहनुमा, सूरा ए बक़रा
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