हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफसीर; इत्रे क़ुरआन: सूरा ए बक़रा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्राहीम
الم ذَلِكَ الْكِتَابُ لاَ رَيْبَ فِيهِ هُدًى لِّلْمُتَّقِينَ अलिफ लाम मीम, (सूरा ए बक़रा 1) ज़ालिकल किताबू ला रैय्बा फ़ीहि हुदल लिल मुत्ताक़ीन ( सूरा ए बक़रा, 2)
अनुवादः यह एक ऐसी किताब है जिसमें संदेह के लिए कोई जगह नहीं है। यह अहले तकवा लोगों के लिए मार्गदर्शन का एक अवतार है।
📕 क़ुरआन की तफ़सीर 📕
1️⃣ हुरूफ़े मुक़त्तेआत अल्लाह और उसके महबूब के बीच एक राज़ हैं।
2️⃣ अल्लाह ने चाहा कि सिर्फ वो और उसके महबूब को इस राज़ की जानकारी हो।
3️⃣ क़ुरआन सबसे पूर्ण और शानदार किताब है।
4️⃣ क़ुरआन एक बहुत ही विश्वसनीय किताब है और यह हर उस चीज़ से मुक्त है जो इसकी सत्यता के बारे में संदेह पैदा करती है।
5️⃣ क़ुरआन में नेक और अच्छे लोगों को मार्गदर्शन और प्रशिक्षण देने की पूरी क्षमता है, यह पवित्र कुरआन की वैधता और सत्यता का प्रमाण है।
6️⃣ क़ुरआन एक ऐसी किताब है जो अहले तक़वा लोगो को उच्चतम स्तर तक मार्गदर्शन करती है।
7️⃣ क़ुरआन के मार्गदर्शन में कोई कमी और विचलन नहीं है।
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📚 तफ़सीरे राहनुमा, सूरा ए बक़रा
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