हौजा न्यूज एजेंसी
तफसीर; इत्रे क़ुरआन: तफसीर सूरा ए बकरा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह हिर्राहमा निर्राहीम
قَالُواْ سُبْحَانَكَ لاَ عِلْمَ لَنَا إِلاَّ مَا عَلَّمْتَنَا إِنَّكَ أَنتَ الْعَلِيمُ الْحَكِيمُ क़ालू सुब्हानका ला इल्मा लना इल्ला मा अल्लमतना इन्नका अन्तल अलीमुल हकीम (बकरा, 32)।
अनुवाद: फ़रिश्तों ने कहा कि हम उतना ही जानते हैं जितना तूने हमें बताया है कि तू साहिबे हिकमत और साहिबे इल्म भी हैं।
📕 क़ुरआन की तफसीर 📕
1️⃣ वे उन तथ्यों से अनभिज्ञ थे जो स्वर्गदूतों के सामने प्रस्तुत किए गए थे और नामों का वर्णन करने में असमर्थ थे।
2️⃣ अल्लाह तआला हर प्रकार के दोष से पाक औस मुक्त है।
3️⃣ दुनिया का परवरदिगार सबसे पवित्र हैं ताकि अस्तित्व के रहस्यों और उनके छिपे हुए स्थानों के बारे में पता न चले।
4️⃣ फरिश्तों का ज्ञान और अंतर्दृष्टि अल्लाह तआला की ओर से है।
5️⃣ ईश्वर सबसे ऊंचा और महान, हिकतम और इल्म वाला है।
6️⃣ जाते बारी ताला ही एकमात्र ऐसी वास्तविकता है जिसमें असीमित (पूर्ण) ज्ञान और हिकमत है।
7️⃣ अल्लाह तआला का ज्ञान व्यक्तिगत है और दूसरों का ज्ञान अल्लाह की ओर से एक उपहार है।
8️⃣ हज़रत आदम (अ) फरिश्तों से श्रेष्ठ और उनसे अधिक ज्ञानी थे।
9️⃣ फ़रिश्तों को अल्लाह के कार्यों के ज्ञान और हिकमत की याद दिलाई गई (हकाइक के नामों की व्याख्या करने के लिए) और उन्हें हज़रत आदम (अ) की वैज्ञानिक श्रेष्ठता से अवगत कराने के लिए।
🔟 फरिश्तों का कबूलनामा कि इंसान की पैदाइश समझदार इसलिए खिलाफत के लिए उसका चुनाव सही था।
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📚 तफसीर राहनुमा, सूरा ए बकरा
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