हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हमें ख़ुद को पाकीज़ा बनाने ख़ुद को पाक करने की कोशिश करनी चाहिए यानी रूहानी पाकीज़गी के आला दर्जे तय नहीं किए जा सकते मन की पाकीज़गी तक़वे से होती हैंं।
परहेज़गारी से होती है, ख़ुद की निगरानी, लगातार अपनी निगरानी, अपने ऊपर नज़र रखने से होती है। इंसान से ग़लतियां और ख़ताएं हो जाती हैं और मुमकिन है कि हम पर काले धब्बे लग जाएं लेकिन इन काले धब्बों को मिटाने का रास्ता भी अल्लाह ने हमें दिखाया है, सिखाया हैः तौबा, इस्तेग़फ़ार, हम इस्तेग़फ़ार करें।
इस्तेगफ़ार का मतलब माज़ेरत चाहना, माफ़ी मांगना, “अस्तग़फ़ेरुल्लाह” का मतलब यह है कि हे अल्लाह! मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूं, माज़ेरत चाहता हूं। हम हक़ीक़त में और दिल की गहराई से अल्लाह से माफ़ी मांगें, यह इस्तेग़फ़ार है, यह, उस काले दाग़ और काले धब्बे को मिटा देता है।
इमाम ख़ामेनेई,