हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,ह़ज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा अलह़ाज ह़ाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी ने बसरा से ज़ियारत को आए हुए मोमिनीन इकराम से अपनी नसीहतों में फरमाया,मोमिनीन अपने घरों की निगरानी करें उन्हें हलाल और हराम,पाकीज़गी और परदे की पाबंदी सिखाएं
मोमिनीन हक़ीकी इस्लामें मोहम्मदी की पाबंदी और अच्छे अख्लाक से भटकने की साजिशों से अपने घर वालों को (महफूज़)सुरक्षित रखें,ज़रूरी तौर पर हकीकी इस्लाम में मोहम्मदी,और इस्लामी संस्कृति और इस्लामी नैतिकता के साथ साथ शरीयत की मर्यादाओं का पालन करना और किसी भी सूरत में हराम से बचना( ज़रूर) अनिवार्य हैं।
मुकद्दस मुकामात कि ज़ियारतें इसलाह के लिए एक अच्छा अवसर है, जिसकी शुरुआत खुद से करें, और फिर इसे अपने परिवार और समाज में भी (राईज)आम करें।
आमाल कि क़बूलियत का दारोमदार तक्वा पर है और तकवा हासिल करने का पहला कदम यह हैं कि इंसान हर दिन कम से कम एक मर्तबा अपने नफ्स का हिसाब ले,
अपने आमाल और बातचीत पर गौर व फिक्र करें और अपनी गलतियों की इस्लाह करें और सच्चे दिल से तौबा करें, और अपने नफ्स कि इस्लाह करने के बारे में हमको अइम्मा अलैहिमुस्सलाम ने सलाह दी हैं।