हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ/ दुनिया भर के मुसलमान इन दिनो रोज़े जैसी इबादत में मसरूफ हैं। तो वहीं सआदतगंज शिया यतीमखाना काज़मैन रोड के सामने मरकज़े फ़िक़्ह ओ फ़क़ाहत में मौलाना सैयद हैदर अब्बास रिज़वी महदवी समाज के नाम से होने वाले क्लासेज में नौजवानो और जवानों को अपने लेक्चर के दौरान बताते हैं कि दुनिया में इलाही निज़ाम कायम हो,
आज जब की पूरी दुनिया में जुल्म ओ ज्यादती अपने चरम पर है और इंसानियत न उम्मीद होती जा रही है ऐसे में इमाम ज़माना पर ईमान इंसान को उमीदवार बनाता है।
मौलाना हैदर अब्बास ने ये भी बताया के इमामे आख़िर के सिलसिले में क़ुरान पाक में 265 आयतें हैं जब के शिया सुन्नी किताबों में 3500 के क़रीब रिवायत हैं। इमाम को पहचान कर ही हम अपने हक़ीक़ी मालिक को पहचान सकते हैं।
यमन, अफगानिस्तान व अन्य मुल्कों में जुल्म से इंसानियत कराह रही है ऐसे में अदल कायम करने वाले रहनुमा की कमी महसूस होती है। वो आखिरी इमाम हैं जो जुल्म से भरी दुनिया को अदल ओ इंसाफ से भर देंगे।
मौलाना हैदर अब्बास ने ब्यान किया के जापानी रिसर्च स्कॉलर फ़ोक़ोयामा एक कॉन्फ्रेंस के दौरान कह चुके है के शियों को गुलामी की जंजीर नहीं पहनाई जा सकती क्योंकि उनके पास उड़ने के लिए दो पर हैं एक का नाम है आशूरा यानी कर्बला जो उन्हें शहादत से डरने नहीं देता और दूसरे का नाम है इंतजार जो कहता है कि ज़ालिमों आज जितना ज़ुल्म करना है कर लो आने वाला दिन हमारा होगा रहबर हमारा होगा परचम हमारा होगा।
दीनी, समाजी, सियासी, तारीख एतबार के अलावा खुद संस्कृति के विकास में भी इमाम का अहम रोल होगा। अलबत्ता हम सब को उस आखिरी इलाही हुज्जत के लिए खुद को तैयार करना होगा। माहे रमजान में हो रहे इन क्लासेज़ में युवा लोग बढ़चढ़कर हिस्सा लेने के साथ नोट्स बना रहे और रमज़ान के अंतिम दिनों में इन लेक्चर्स के बेस पर एग्जाम लिया जाएगा और काम्याबी हासिल करने वालों को पुरस्कृत किया जायेगा।
लेक्चर समाप्त होने के पश्चात हर रोज स्टूडेंट्स मौलाना से अपने सवाल करते हैं जिसका जवाब मौलाना देते हैं क्लासेज का आगाज तिलावत ए कुरान ए पाक से होता हैं।