۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
स.ल.

हौज़ा/हज़रत ख़दीजा स.अ. वाक़ई मज़लूम हैं, पैग़म्बर की बीवी होने का जो शरफ़ आपको हासिल हुआ वह बेमिसाल हैं,मगर आपने जो दु:ख दर्द का ज़माना देखा है वह ज़माना बहुत कठिन ज़माना था उसमें भी आपने पैगंबर का सबसे बड़ा सहारा बनकर इस्लाम की मदद की हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत ख़दीजा स.अ. वाक़ई मज़लूम हैं। पैग़म्बर की बीवी होने का जो शरफ़ आपको हासिल हुआ वह बेमिसाल है। दूसरी बीवियों को पैग़म्बर की पत्नी होने का शरफ़ तो मिला मगर नबूवत के काम में पैग़म्बर की सख़्तियों का जो दौर है उसका सामना उन बीवियों को नहीं करना पड़ा आप दस साल मदीने में जो रहे तो वह प्रतिष्ठा का दौर था, सम्मान का दौर था, बीते दौर के मुक़ाबले में सुकून की ज़िंदगी थी।

हज़रत ख़दीजा स.अ. ने पैग़म्बर के दुख दर्द का ज़माना, सख़्तियों का ज़माना देखा और सहन किया।पहली बात यह कि पैग़म्बर पर ईमान लाना, ज़ाहिर है कि सबसे पहले ईमान लाने वालों में हज़रत अली और हज़रत ख़दीजा थे, यह बड़ा गौरव है, बड़ी महान चीज़ है।

इमाम हसन (अ.स.) के बारे में है कि आपने कई बार अपनी सारी सम्पत्ति राहे ख़ुदा में ख़र्च कर दी, या अपनी आधी सम्पत्ति ख़र्च कर दी। यह बहुत बड़ा गौरव है। इस अज़ीम ख़ातून का गौरव यह है कि अपनी सारी सम्पत्ति दे दी।

सब कुछ इस्लाम को फैलाने और पैग़म्बर के हाथ मज़बूत करने के लिए ख़र्च कर दिया। इसके बाद बेहद कठिन हालात और दुश्वारियों का सामना किया और अपना ईमान पूरी मज़बूती से क़ायम रखा।

इमाम ख़ामेनेई,

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