۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा/अगर आप क़र्ज़ देते हैं और यह शर्त लगाते हैं कि क़र्ज़ लेने वाला आपको हर महीने एक निर्धारित रक़म देता रहे तो यह ब्याज है और हराम है, लेकिन अगर आप किसी को अपना पूरे अख़्तियार वाला वकील बना दें कि वह आपके पैसों से आपके लिए काम करे और मिलने वाले मुनाफ़े में से कुछ आपको दे तो इसमें कोई हरज नहीं है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।


सवालःमैं किसी शख़्स को कारोबार के लिए पूंजी के तौर पर एक रक़म देना चाहता हूं कि वह काम करे और एक निर्धारित रक़म हर महीने मुनाफ़े के तौर पर मुझको देता रहे, क्या यह मुनाफ़ा, ब्याज कहलाएगा?


उत्तर: अगर आप क़र्ज़ देते हैं और यह शर्त लगाते हैं कि क़र्ज़ लेने वाला आपको हर महीने एक निर्धारित रक़म देता रहे तो यह ब्याज है और हराम है, लेकिन अगर आप किसी को अपना पूरे अख़्तियार वाला वकील बना दें कि वह आपके पैसों से आपके लिए काम करे और मिलने वाले मुनाफ़े में से कुछ आपको दे तो इसमें कोई हरज नहीं है।

टैग्स

कमेंट

You are replying to: .