हौज़ा न्यूज़ एजेंसी!
लेखकः शौकत भारती
तकफीरी दहशत गर्द जिन्हे अमरीका इसराईल, ब्रिटेन और सऊदी हुक्मूरानों ने मिल जुल कर तैयार किया है ये लोग एक लंबे अरसे से अफगानिस्तान,सीरिया, इराक, पाकिस्तान और इरान में मजारात पर मुसलसल हमले कर रहे हैं इसकी बुनियादी वजह इन लोगों के दिलों में अहलेबैत और अहलेबैत के मानने वालों से दुश्मनी है।
वसीला,शिफात और ताजीम के कुरानी अकीदे की मुंकिर ये वो तकफिरी दहशत गर्द हैं जिनका ब्रेन वाश कर के और लालच दे कर सारी दुनिया में दहशत गर्दी फैलाने के लिए ही तैयार किया गया है उनके जेहन में बिठा दिया गया है की अंबिया,आइम्मा और औलिया के मजारात शिर्क और बुत परस्ती का अड्डा हैं जहां पर शिर्क और बिदअत होता,है बुत परस्ती होती है जो इस्लाम के खिलाफ है। इस लिए इसे खत्म करने और मिटाने के लिए जो जिहाद करेगा वो जन्नती है अगर मारा जायेगा तो शहीद कहलाए गा और अगर बच गया तो मुजाहिद कहलाए गा इनके दिमाग में बिठा दिया गया की इस राह में मारे जाने वाला ऐसा शहीद है जो सीधा जन्नत में जायेगा जहां 72 हूरें उसका इंतजार कर रहीं हैं।
इस्लाम दुश्मन ताकतों ने इन पागलों को जिहाद के नाम पर चार इंजेक्शन "शिर्क, बिदत हूर जन्नत" लगा कर दहशत गर्द बनाया है और इसी लिए ये दहशत गर्द मुसलसल मजारात पर और शिया जायरीन पर हमले कर रहे हैं। शीराज में शाहे चिराग के मजार पर हमला भी उसी दहशत गर्दी फिक्र का नतीजा है जो वसीला, शफात और ताजीम के कुरानी अकीदे की दुश्मन है।इन दहशत गार्दो को भी "शिर्क,बिदत हूर जन्नत" नाम के चार इंजेक्शन लगा कर ही तैयार किया गया है।
इन दहशत गर्दो को तैयार करने ट्रेनिंग और हथियार देने वाले किसी भी मुल्क ने इस इन हमलावरों की मजम्मत नहीं की। हिजाब के मसले पर भौंकने वाला वेस्टर्न मिडिया इस आतंकी हमले पर बहरा गूंगा और अंधा बना हुआ है शियो पर हमला चाहे, पाकिस्तान अफगानिस्तान ईराक और सीरिया में हो या फिर ईरान में हमेशा ही अमरीका,इसराइल, सउदी अरब,ब्रिटेन और अमरीका नवाज़ अरब मुल्क खामोश रहते हैं।अल्लाह से दुआ है की अल्लाह ताला इस फिक्र के लोगों और इन्हे तैयार करने वालों से जमीन को जल्द पाक कर दे ताकि दुनिया वालों को इस दहशत गर्दी फिक्र से निजात मिले।
याद रखिए ईरान के शहर शिराज में शाह चिराग की जिस दरगाह पर हमला हुआ है वो कोई आम आदमी नहीं हैं वो इमाम जादे हैं,सातवें इमाम इमाम मूसा काजिम अ.स की औलाद हैं जिनका नाम सय्यद अहमद उर्फ शाहे चिराग है।आपके मजारे मुकद्दस पर हमले से सारी दुनिया के शियो के दिल गमगीन हैं।
इमाम जादे सैयद अहमद उर्फ शाहे चिराग़ इमाम मूसा काजिम के फरजंद हैं,जो अपने भाई इमाम रज़ा अ.स का बहुत एहतेराम करते थे इमाम रजा भी आपका बहुत एहतेराम करते थे,आप का जोहद और तकवा इस मेराज पर था की आप ने अपने हाथ से कुरान के 1000 नुस्खे लिखे थे,उनकी सखावत और गरीब परवरी इस मेराज पर थी की आप ने 1000 गुलामों को अपने पैसे से खरीदकर आजाद किया था।जिस तरह से आपके वालिद इमाम मूसा काजिम अ.स और आप के भाई इमाम अली राजा अ.स के जोहद और तकवे से अब्बासी खलीफा बहुत खौफ जदा रहता था और उन् दोनो को जहर से शहीद करवाया था उसी तरह से इमाम मूसा काजिम अ.स के इस बेटे सय्यद अहमद उर्फ शाह चिराग के जोहद और तक्वे से भी खौफ जदा हो कर मामून ने बेरहमी से शहीद करवा दिया। आप की शहादत का वाकिया इस तरह से रुनुमा हुआ की आप जिस वक्त अपने भाई इमाम अली रज़ा अ.स से मिलने मदीना से खुरासान जा रहे थे शिराज के मुकाम पर मामून अब्बासी के हुक्म से शिराज के गवर्नर ने उन्हें बेरहमी से शहीद कर दिया आपको जिस घर में शहीद किया गया था उस घर को ही आपके ऊपर गिरवा दिया गया और उसके मलबे के नीचे आपको दबा दिया गया।
एक सदी से भी अधिक वक्त तक वो जगह एक टीले की शक्ल में बनी रही और लोग आपकी कब्र से पूरी तरह बेखबर थे,लेकिन एक जुमा को रात के वक्त लोगों ने वहां से तेज़ रौशनी निकलते देखा तो सब हैरत में पड गए और उस टीले की तरफ जौक दर जौक पहुंचने लगे और इस तरह से उसी जगह पर आपका मजार बना दिया गया।
रौशनी के निकलने की वजह से आप को लोग "शाह चिराग" कहने लगे और यही नाम आपका मशहूर हो गया।
शाह चिराग की मजार पर हमले और जायरीन की शहादत से शियो के दिल गमगीन हैं। अल्लाह से दुआ है की जखमियो को अल्लाह ताला जल्द से शिफा अता करे,शहीदों के घर वालों को सबरे जमील अता करे और ईरानी हुकूमत को इतना मजबूत कर दे की वोह सारी दुनिया के इंसानों को इस दहशत गर्दी फिक्र से निजात दिला सके।
(शौकत भारती सदर असर फाउंडेशन)
नोटः लेखक के अपने जाति विचार है हौज़ा न्यूज़ एजेंसी का लेखक के विचारो से सहमत होना जरूरी नही है।