۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा/ऐसी हालत में काम करने वाला उस काम के बदले में जो उसने अंजाम दिया है सिर्फ़ वह रक़म तलब कर सकता है जो आम तौर पर उस काम जैसे काम की मज़दूरी के तौर पर ली जाती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।

सवालः कभी मज़दूर, काम क़ुबूल करते वक़्त अपनी मज़दूरी तय नहीं करता और काम कराने वाला, काम पूरा होने के बाद उसके द्वारा मांगी गई मज़दूरी को ज़्यादा समझता है और क़ुबूल नहीं करता, ऐसी हालत में शरीअत का क्या हुक्म है?

जवाबः ऐसी हालत में काम करने वाला उस काम के बदले में जो उसने अंजाम दिया है सिर्फ़ वह रक़म तलब कर सकता है जो आम तौर पर उस काम जैसे काम की मज़दूरी के तौर पर ली जाती है।

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