۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा/ख़रीदारी की शर्त के तौर पर, वादा ख़िलाफ़ी होने पर निर्धारित जुर्माना लेना जायज़ है लेकिन अगर जुर्माना, अदायगी के लिए इज़ाफ़ी मोहलत लेने पर लगे तो यह जायज़ नहीं है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं।जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं,उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।

सवालः अगर क़र्ज़े या क़िस्तों पर ख़रीदारी के वक़्त शर्त लगा दी जाए कि अदाएगी में देर होने पर एक निर्धारित रक़म जुर्माने के तौर पर माहाना या रोज़ाना (मिसाल के तौर पर एक दिन देर होने पर हज़ार रूपए जुर्माना देना होगा) तो क्या इस तरह की शर्त में कोई हरज है?
जवाबः ख़रीदारी की शर्त के तौर पर, वादा ख़िलाफ होने पर निर्धारित जुर्माना लेना जायज़ है लेकिन अगर जुर्माना, अदायगी के लिए इज़ाफ़ी मोहलत लेने पर लगे तो यह जायज़ नहीं है।
 

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