۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा / कुछ लोग यही सोचते है कि टूटी हुई सज्दागाह पर सज्दा करना ग़लत समझते हैं, लेकिन यह सही नहीं है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

टूटी दरगाह पर सज्दा

कुछ लोग यही सोचते है कि टूटी हुई सज्दागाह पर सज्दा करना ग़लत समझते हैं

जबकि यह सच नहीं है।

ऐसी सज्दागाह पर सज्दा करना जो टूटी हुई है, कोई इश्काल नही है।

जरूरी है कि सज्दागाह उंगली के एक जोड़ (पोर) से कम न हो।

स्रोत: आयतुल्लाह मकारिम की वेबसाइट

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