۸ مهر ۱۴۰۳ |۲۵ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Sep 29, 2024
शरई अहकाम

हौजा़ / नमाज़ के अज़कार का पाठ करते समय, उदाहरण के लिए, तशह्हुद  या सलाम पढ़ते हुए तो मुस्हब है कि इमामे जमाअत का पालन करें; लेकिन

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

क्या जमाअत की नमाज़ में जमाअत के इमाम के साथ सारे काम करना ज़रूरी है?

क्या नमाज में व्यस्त हैं या नमाज में अफआल मे?

नमाज़ के अज़कार का पाठ करते समय, उदाहरण के लिए, तशह्हुद या सलाम पढ़ते हुए तो मुस्तहब है कि इमामे जमाअत का पालन करें; लेकिन

अनिवार्य नहीं। इसलिए अगर इमाम जानबूझकर या अनजाने में जमात से पहले ज़िक्र पढ़ लेता है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं है।

जब नमाज़ के अफआल मे व्यस्त हों, जैसे कि सज्दा करना या रुकूआ करना, तो जमाअत के इमाम का पालन करना अनिवार्य है।

तो अगर जमात का इमाम रुकूउ में नहीं गया है तो हम जमात के इमाम से पहले रुकूउ में नहीं जा सकते।

तौज़ीहुल मसाइल, मस्अला न.1470

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