۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा | सार्वजनिक धन और संसाधनों को हड़पना मना है। समाज की आर्थिक सुरक्षा और लोगों के अधिकारों की रक्षा में न्यायाधीशों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

तफ़सीर; इत्रे कुरआनः तफ़सीर सूर ए बकरा

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَلَا تَأْكُلُوا أَمْوَالَكُم بَيْنَكُم بِالْبَاطِلِ وَتُدْلُوا بِهَا إِلَى الْحُكَّامِ لِتَأْكُلُوا فَرِيقًا مِّنْ أَمْوَالِ النَّاسِ بِالْإِثْمِ وَأَنتُمْ تَعْلَمُونَ   वला काकोलू अमवालाकुम बैनाकुम बिल बातेले व तुदलू बेहा एलल हुक्कामे लेताकोलू फ़रीक़म मिन अमवालिन नासे बिल इस्मे वा अंतुम ताउलामून। (बकरा, 188)

अनुवाद: और एक दूसरे का माल ग़लत तरीक़े से न खाओ। और (रिश्वत के रूप में) लोगों की कुछ संपत्ति छीनने के उद्देश्य से उस (संपत्ति को) अधिकारियों को पाप के रूप में न सौंपें। जबकि आप जानते हैं.

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣  धन संचय करने के कुछ कारण जायज और सही होते हैं और कुछ नाजायज और अमान्य होते हैं।
2️⃣  अवैध तरीकों से दूसरे लोगों के धन और संसाधनों को प्राप्त करना वर्जित है।
3️⃣  काजियों को रिश्वत देना गैरकानूनी और वर्जित है।
4️⃣  जो आदेश या निर्णय रिश्वत देकर किया जाता है वह पाप है और उसकी कोई हैसियत नहीं है।
5️⃣  आम संपत्ति और संसाधनों को हड़पना मना है।
6️⃣  समाज की आर्थिक सुरक्षा और लोगों के अधिकारों की रक्षा में न्यायाधीशों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा

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