हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
तफ़सीर; इत्रे कुरआन: तफ़सीर सूर ए बकरा
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
لَيْسَ عَلَيْكُمْ جُنَاحٌ أَن تَبْتَغُوا فَضْلًا مِّن رَّبِّكُمْ ۚ فَإِذَا أَفَضْتُم مِّنْ عَرَفَاتٍ فَاذْكُرُوا اللَّـهَ عِندَ الْمَشْعَرِ الْحَرَامِ ۖ وَاذْكُرُوهُ كَمَا هَدَاكُمْ وَإِن كُنتُم مِّن قَبْلِهِ لَمِنَ الضَّالِّينَ लैसा अलैकुम जुनाहुन अत तबतगू फ़ज़लम मिर रब्बेकुम फ़एज़ा अफ़जतुम मिन अराफातिन फ़ज़्कोरूल्लाहा इन्दल मशआरिल हरामे वज़कोरूहू कमा हदाकुम वा इन कुनतुम मिन कबलेहि लमिनज जाल्लीन (बकरा 198)
अनुवाद: इसमें तुम्हारे लिए कोई हर्ज नहीं कि तुम हज के वक्त अपने रब से इनाम मांगो। हां, जब आप अराफात से प्रस्थान करें, तो मशर अल-हरम (मुजदलिफा) के पास (उसकी सीमाओं) में अल्लाह को याद करें और उसे उस तरीके से याद करें जैसे उसने आपको निर्देशित किया है, भले ही इससे पहले आप भटकने वालों में से थे।
क़ुरआन की तफसीर:
1️⃣ अनुष्ठान हज के दौरान व्यापार और व्यवसाय की अनुमति है।
2️⃣ व्यापार एवं व्यवसाय का महत्व एवं मूल्य।
3️⃣ इंसानों को जीविका देना सर्वशक्तिमान ईश्वर की कृपा और दया है और यह उनके प्रभुत्व का एक हिस्सा है।
4️⃣ मशअर अल-हराम में ईश्वर का जिक्र करना अनिवार्य है।
5️⃣ ईश्वर का स्मरण ईश्वरीय शिक्षा के अनुरूप होना चाहिए।
6️⃣ हज के दिनों में खरीद-फरोख्त के औचित्य का समय हज की रस्में पूरी होने और एहराम खोलने के बाद है
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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा