۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा / लोगों में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी जान की कुर्बानी देकर अल्लाह की रजा मोल लेते हैं। अल्लाह तआला की रजा और खुशी के लिए अपनी जान कुर्बान करना बहुत कीमती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

तफ़सीर; इत्रे क़ुरआन: तफ़सीर सूर ए बकरा

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
وَمِنَ النَّاسِ مَن يَشْرِي نَفْسَهُ ابْتِغَاءَ مَرْضَاتِ اللَّـهِ ۗ وَاللَّـهُ رَءُوفٌ بِالْعِبَادِ  वा मिन्नासे मय यशरी नफ़्सहू इब्तेग़आ मरज़ातिल्लाहे वल्लाहो रऊफुम बिल एबाद (बकरा 207)

अनुवाद: और लोगों में कुछ ऐसे भी हैं जो ख़ुदा की ख़ुशी के लिए अपनी जान बेच देते हैं (ख़तरे में डाल देते हैं) और अल्लाह अपने बंदों पर बड़ा दयालु और दयावान है।

कुरआन की तफसीर:

1️⃣  लोगों में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी जान देकर अल्लाह की ख़ुशी ख़रीदते हैं।
2️⃣  अल्लाह तआला की रजा और खुशी के लिए अपनी जान कुर्बान करना बहुत कीमती है।
3️⃣  खुदा की राह में कुर्बानी देने वालों का सर्वोच्च लक्ष्य अल्लाह की रजा होना चाहिए।
4️⃣  ईश्वर की इच्छा के अलावा किसी और चीज़ के लिए जीवन देना उसके मूल्य को खोने के बराबर है।
5️⃣  मानव जीवन ईश्वर की प्रसन्नता प्राप्त करने का एक साधन है।
6️⃣  आत्म-बलिदान ही ईश्वर की कृपा और दया का कारण है।
7️⃣  हज़रत अमीरुल मोमिनीन अली इब्न अबी तालिब (अ) ने हिजरत की रात में पवित्र पैगंबर (स) के बिस्तर पर सोकर खुद को खतरे में डाला और पैगंबर (स) की सुरक्षा और ईश्वर की प्रसन्नता खरीदी।


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तफसीर राहनुमा, सूर ए बकरा

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