۲۸ شهریور ۱۴۰۳ |۱۴ ربیع‌الاول ۱۴۴۶ | Sep 18, 2024
शरई अहकामः

हौज़ा / उजरत(कीमत) निर्धारित करने में शरीयत के एतबार से कोई इश्काल नहीं हैं, लेकिन यह काम ज़ाकिरे अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम कि जिन्हें तकवा और पारसाई का मज़हर होना चाहिए उनकी शान के मुनासिब नहीं हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा मकारिम शीराज़ी से शरई सवाल व जवाब:

सवाल : क्या अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम के फ़ज़ायल और मसाइब बयांन करने के लिए ज़ाकिर कीमत तय सकता हैं?

जवाब : उजरत(कीमत) निर्धारित करने में शरीयत के एतबार से कोई इश्काल नहीं हैं, लेकिन यह काम ज़ाकिरे अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम कि
जिन्हें तकवा और पारसाई का मज़हर होना चाहिए उनकी शान के मुनासिब नहीं हैं।

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