۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
नौहा

हौज़ा/अंजुमन जाफरिया के तत्वावधान में स्थानीय कल्लू मरहूम के इमामबाड़े में कर्बला के प्यासे शहीदों की याद में कदीम तरही शब्बेदारी रविवार को सम्पन्न हुई इस शब्बेदारी में देश की मशहूर अंजुमनों ने रात भर किया नौहा व मातम और अहले बैत अ.स. को पुरसा पेश किए

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,जौनपुर शीराज ए हिंद की गंगा जमुनी तहजीब को अपने दामन में समेटे और हिन्दू मुस्लिम एकता की प्रतिक अंजुमन जाफरिया के तत्वावधान में स्थानीय कल्लू मरहूम के इमामबाड़े में कर्बला के प्यासे शहीदों की याद में कदीम तरही शब्बेदारी रविवार को सम्पन्न हुई।

शब्बेदारी में देश विदेश से आये हुए सोगवारों ने लगातार मातम कर आंसुओं का नजराना इमाम हुसैन को पेश कर किए शब्बेदारी में मशहूर अंजुमनों के साथ नगर की विख्यात अंजुमनों ने नौहों व मातम का नज़राना पेश किया ।

शब्बेदारी में मुख्य अतिथि सोशल रिफॉर्मर अंबर फाउंडेशन के चेयरमैन वफ़ा अब्बास नगरामी ने लोगो को संबोधित करते हुए कहा की इस्लाम धर्म में एखलाक इंसानियत इल्म को अधिक महत्व दिया गया है ऐसे में समाज के सभी लोगो को शिक्षित होकर देश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देना है इसी कड़ी में अंबर फाउंडेशन तीन सौ छात्राओं को शिक्षित करने के उद्देश्य से आईएएस और पीसीएस बनाने के लिए फ्री कोचिंग की व्यवस्था करा रही जिसका नाम कलेक्टर बिटिया दिया गया है ।इसमे हर धर्म के बच्चियों को शामिल होकर देश की तरक्की और मुख्य धारा से जुड़ने की अपील की वही इस इलाके के गरीबो की आँखों का चश्मा मोतियाबिन्द ऑपेरेशन करवाने की भी बात कही हैं।

शब्बेदारी की मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना नसीर आजमी ने कहा कि इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन ने जो कर्बला में शहादत दी है, की आज तक कहीं कोई मिसाल नहीं है।

शिया मुसलमानों के जन्म का मकसद ही इमाम हुसैन की शहादत पर आंसू बहाना है, क्योंकि शिया वर्ग के लोग इमाम हुसैन की मां फातिमा जोहरा की तमन्ना है। मजलिस की सोजख्वानी समर रजा वा अफरोज रजा ने किया। शब्बेदारी की अंतिम तकरीर को मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना सफदर हुसैन जैदी ने की,
 

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