۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
जुलूस

हौज़ा / जौनपुर, बलुआघाट मोहल्ला स्थित मकबूल मंजिल में शनिवार की रात अंजुमन हुसैनिया क ऐतिहासिक तरही ऑल इंडिया शब्बेदारी का 81वां दौर शुरू हुआ और रविवार की सुबह खत्म हुआ जिसमे देश की मशहूर अंजुमनों के अलावा शहर की प्रमुख अंजुमनों ने पूरी रात कर्बला के छः माह के कमसिन शहीद अली असगर की याद में अपने दर्द भरे कलाम पेश किए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,जौनपुर,नगर के बलुआघाट मोहल्ला स्थित मकबूल मंजिल में शनिवार की रात अंजुमन हुसैनिया क ऐतिहासिक तरही ऑल इंडिया शब्बेदारी का 81वां दौर शुरू हुआ और रविवार की सुबह खत्म हुआ।

जिसमे देश की मशहूर अंजुमनों के अलावा शहर की प्रमुख अंजुमनों ने पूरी रात कर्बला के छः माह के कमसिन शहीद अली असगर की याद में अपने दर्द भरे कलाम पेश किया।

अलविदाई मजलिस के बाद गहवारे अली असगर और अलम, ताबूत निकाला गया जिसकी जियारत के लिए हजारों लोग मौजूद रहे।शब्बेदारी का आगाज तिलावते कलाम-ए-पाक से मौलाना अली हसनैन शायन ने किया।

पेशखानी हसन फतेहपुरी व रूस्तम साबरी इलाहाबादी ने अपने कलाम पेश कर किया। सोजख्वानी सैय्यद अली काविश व शेखअली के हमनवा ने पढ़ा मजलिस को खेताब करते हुए मौलाना सै. इमाम हैदर हाल मुकीम कनाडा ने कहा कि इमाम हुसैन के सबसे छोटे बेटे जनाब अली असगर जिनकी उम्र छह माह की थी,यजिदी फौजों ने उस वक्त कर्बला के मैदान में तीन भाल के भारी भरकम तीर से इमाम के हाथों में शहीद कर दिया। जब वे यजिदी फौजों से इस बच्चे के लिए दो कतरा पानी पिलाने के लिए मांग रहे थे।

हज़रत अली असगर तीन रोज के भूखे-प्यासा थे पर जालिमो को उनपर भी रहम नही आया। इस दर्दनाक मंज़र को सुनकर लोग दहाड़े मारकर रोने लगे। इसके बाद नौहा मातम का सिलसिला शुरू हुआ

मिसरे तरह असगर का गम शहीदों में सबसे जुदा रहा (रूस्तम साबरी इलाहाबादी ) व "सूरते शमशीर असगर की हंसी देखी गई (हसन आब्दी फतेहपुरी) पर शहर की कई अंजुमनों के अलावा अंजुमन शमीमुल इमाम सिरसी मुरादाबाद, अब्बासिया अहले सुन्नत (नौहेखवा उस्मान अली )बड़ागांव कौशांबी, रौनके इस्लाम मुस्तफाबाद जलालपुर, पंजतनी तुरबखानी सुलतानपुर और जवानाने हुसैनी आमिलो मुबारकपुर मऊ ने नौहा मातम कर कर्बला के सबसे कमसिन जनाबे अली असगर को नजराने अकीदत पेश किया।

रविवार की सुबह अलविदाई मजलिस मौलाना मगुलाम रसूल नूरी कश्मीर ने पढ़ा इसके बाद शबीहे ताबूत, अलम, झूला अली असगर निकाला गया। शब्बेदारी का संचालन तालिब हुसैनी कानपुरी डॉ शोहरत जौनपुरी ने व आभार अध्यक्ष सकलैन हैदर खान कंपू व महासचिव मिर्ज़ा जमील ने प्रकट किया।

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