हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,जौनपुर, शिराज-ए-हिन्द-जौनपुर के 8वीं मोहर्रम का ऐतिहासिक जुलूस गुरूवार को नाज़िम अली खान के इमामबाड़े से अंजुमन हुसैनिया के नेतृत्व में निकाला गया जिसमें शामिल शहर की 20 से ज़्यादा मातमी अंजुमनों ने नौहा व मातम कर कर्बला के शहीदों को नज़राने अक़ीदत पेश किया।
आठ मोहर्रम को जनपद के सभी इलाकों में मजलिसों एवं जुलूस का आयोजन हुआ। गुरूवार को नगर का ऐतिहासिक आठ मोहर्रम का जुलूस अपने रिवायती अंदाज में मोहल्ला नसीब खां मंडी स्थित इमामाबाड़ा नाजिम अली खां से उठा जो अटाला मस्जिद स्थित इमामबाड़ा शेख अलताफ हुसैन पर पहुंचकर समाप्त हुआ।
दिल्ली से आये वैज्ञानिक मौलाना जाकिर डॉ. कल्बे रजा नकवी ने मजलिस को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज पूरी दुनिया में इमाम हुसैन का गम इस समय मनाया जा रहा है। इमाम हुसैन ने सन 61 हिजरी में कर्बला के मैदान में उस समय के सबसे बड़े आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाकर न सिर्फ अपना भरा पूरा परिवार कुर्बान कर दिया, बल्कि आज जो इस्लाम जिंदा है, वह उनकी शहादत के दम पर ही है।
उन्होंने कहा कि कर्बला में हज़रत इमाम हुसैन ने अपने छह माह के बच्चे जनाब ए अली असगर की शहादत पेश करने से भी पीछे नहीं हटे।
हजरत इमाम हुसैन ने अपने जवान बेटे अली अकबर की शहादत पेश की तो तेरह साल के भतीजे जनाबे कासिम की जान भी दीने इस्लाम को बचाने में कुर्बान कर दी।
जुलूस अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ अटाला मस्जिद तक पहुँचा यहां इमामबाड़ा शेख इल्ताफ हुसैन से तुर्बत को निकालकर गहवारे अली असगर व जुलजनाह से मिलाया गया। इस मिलन को देखकर लोगों की आंखों से आंसू छलकने लगा।
जुलूस में हज़ारों अजादार मौजूद थे जुलूस का संचालन परवेज हसन ने किया इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर प्रशासनिक अधिकारी व पुलिस बल तैनात रहा वहीं सातवीं मुहर्रम की देर रात्रि नगर के सिलेखाना स्थित मेंहदी का जुलूस निकाला गया जो अपने कदीम रास्ते से होता हुआ इमामबाड़े पहुंचा जहां शबीहों को एक दूसरे से मिलाया गया।