हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट अनुसार, मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने अशरा ए मजालिस की आठवीं मजलिस में रसूलुल्लाह स०अ० की हदीस "यक़ीनन क़त्ले हुसैन (अ.स.) से मोमिनों के दिलों में ऐसी गर्मी पैदा हो गई है जो कभी ठंडी नहीं होगी।" को बयान करते हुए कहा: करबला में इमाम हुसैन अ०स० की मदद में हज़रत उम्मुल बनीन अ०स० के चारों बेटे शहीद हुए, जब शाम से असीरों का लुटा काफेला मदीना आया तो हज़रत उम्मुल बनीन अ०स० ने अपने बेटों की नहीं बल्कि इमाम हुसैन अ०स० की खैरियत पूछी, आप ने अपने बेटों को यही तरबियत दी कि इमाम हुसैन अ० स० पर क़ुर्बान हो जायें, इमाम हुसैन अ०स० के वफादार रहें और इस तरह आप ने वफा को चार चाँद लगाया!
मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी ने इमाम जाफर सादिक़ अ०स० की तालीम करदा ज़ियारत ए हज़रत अब्बास अ०स० के इब्तेदाई फिक़रे को बयान करते हुए कहा: हज़रत अब्बास अ०स० पर हर सुब्ह व शाम अल्लाह, मलाएका ए मुक़र्रेबीन, अम्बिया ए मुर्सलीन, शोहदा (शहीदों), सिद्दीक़ीन (सच्चों) और सालेहीन नेक लोगों का सलाम है! हज़रत अब्बास अ०स० न नबी थे और न ही इमाम लेकिन अल्लाह का भी सलाम आप है, नबियों का भी सलाम आप पर है और इमामों का भी सलाम आप पर है, आप सिद्दीक़ हैं, ऐसे शहीद हैं कि जन्नत में शोहदा आप की शान देख कर हसरत करें गे, आप अल्लाह के सालेह नेक बंदे हैं, करबला में आप ने पहले अपने छोटे भाईयों की क़ुर्बानी पेश की और बाद में खुद भी शहीद हुए!
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27 जुलाई 2023 - 14:59
हौज़ा / लखनऊ, पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी अशरा ए मजालिस बारगाह उम्मुल-बनीन सलामुल्लाह अलैहा मंसूर नगर में सुबह 7:30 बजे आयोजित किया जा रहा है, जिसे मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी खेताब कर रहे हैं।