۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा | अल्लाह तआला से मनुष्य को उसकी आकांक्षाओं तक पहुँचने की दुआ एक पसंदीदा कार्य है और एक अच्छी और नेक पीढ़ी बनना एक ऊँची आकांक्षा है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم   बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
هُنَالِكَ دَعَا زَكَرِيَّا رَبَّهُ ۖ قَالَ رَبِّ هَبْ لِي مِن لَّدُنكَ ذُرِّيَّةً طَيِّبَةً ۖ إِنَّكَ سَمِيعُ الدُّعَاءِ  होनालेका दुआ ज़कारीया रब्बहू क़ाला रब्बे हब ली मिल लदुनका ज़ुर्रीयतन तय्यबतन इन्नका समीअ अल दुआ " (आले-इमरान, 38)

अनुवाद: इस अवसर पर ज़कारिया ने अपने रब से दुआ की और कहा, हे मेरे रब! तू मुझे अपनी ओर से पवित्र संतान प्रदान कर। निस्संदेह, वह (हर किसी की) प्रार्थना का सुनने वाला है।

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ हज़रत ज़करया (अ) को हज़रत मरियम (स) की सच्चाई पर पूरा भरोसा था।
2️⃣ बड़े लोगों की आध्यात्मिक पूर्णताओं का अवलोकन करना ही व्यक्ति को अल्लाह तआला की ओर आकर्षित करने का कारण है।
3️⃣ किसी के सपनों तक पहुंचने के लिए अल्लाह ताला से प्रार्थना।
4️⃣ रश्क एक पसंदीदा कार्य है.
5️⃣ एक अच्छी और नेक पीढ़ी बनना एक ऊंची आकांक्षा है।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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