हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
بسم الله الرحـــمن الرحــــیم बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
قَالَ رَبِّ اجْعَل لِّي آيَةً ۖ قَالَ آيَتُكَ أَلَّا تُكَلِّمَ النَّاسَ ثَلَاثَةَ أَيَّامٍ إِلَّا رَمْزًا ۗ وَاذْكُر رَّبَّكَ كَثِيرًا وَسَبِّحْ بِالْعَشِيِّ وَالْإِبْكَارِ क़ाला रब्बिज अल ली आयातन, क़ाला आयतोका अल्ला तोकल्लेमन नासा सलासता अय्यामिन इल्ला रमज़न वज़ कुर रब्बका कसीरन व सब्बेह बिल अशीय्ये वल अबकारे (आले-इमरान, 41)
अनुवाद: फ़रमाया: ऐ मेरे रब! मेरे (दिल की तसल्ली के) लिए कोई निशानी मुक़र्रर कर दो उसने कहाः तुम्हारी निशानी यह है कि तुम तीन दिन और तीन रातों तक इशारे के बिना लोगों से बातचीत न कर सकोगे। (नेमत के धन्यवाद के रूप में) अपने रब को बार-बार याद करो। और सुबह-शाम उसकी तस्बीह करो।
क़ुरआन की तफसी:
1️⃣ नमाज़ पढ़ते समय हज़रत ज़करिया अलैहिस्सलाम का ध्यान अल्लाह तआला की ओर हुआ।
2️⃣ हज़रत ज़करिया अलैहिस्सलाम की अल्लाह से बातचीत।
3️⃣ पहले के धर्मों में मौन व्रत होता था।
4️⃣ तथ्यों की पुष्टि के लिए चमत्तार का प्रभावशाली होना।
5️⃣ सुबह और शाम अल्लाह तआला की तस्बीह करना और बार-बार उसे याद करना अल्लाह तआला को मतलूब है।
6️⃣ दिन की शुरुआत और अंत अल्लाह की याद के लिए बहुत उपयुक्त समय है।
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तफ़सीर राहनुमा, सूरह आले-इमरान