۱۳ تیر ۱۴۰۳ |۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 3, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा | अल्लाह की आज्ञाकारिता और रात में सजदे की हालत में अल्लाह की आयतें पढ़ना इंसान की कीमत के मानक हैं। रात में इबादत और सजदे में कुरान की तिलावत को बढ़ावा देना।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम
لَيْسُوا سَوَاءً ۗ مِّنْ أَهْلِ الْكِتَابِ أُمَّةٌ قَائِمَةٌ يَتْلُونَ آيَاتِ اللَّهِ آنَاءَ اللَّيْلِ وَهُمْ يَسْجُدُونَ  लयसू सवाआ मिन अहलिल किताबे उम्मतुन क़ाएमतुम यतलूना आयातिल्लाहे आनाअल्लैले व हुम यसजोदून (आले इमरान, 113)

अनुवाद: ये सभी लोग समान नहीं हैं। किताब वालों में एक ऐसा दृढ़ समूह है जो रात के अलग-अलग समय में ईश्वरीय छंदों का पाठ करता है। और सजदा है.

क़ुरआन की तफसीर:

1️⃣ अहले किताब को अपनी वैचारिक प्रवृत्तियों और कार्यों तथा चरित्र में एक जैसा नहीं होना चाहिए।
2️⃣ कुछ अहले किताब का व्यावहारिक और वैचारिक रुझान इस्लाम के प्रति।
3️⃣ इस्लाम के अच्छे लोगों का सम्मान करना और उनकी प्रशंसा करना, भले ही वे मुस्लिम न हों।
4️⃣ अल्लाह की इताअत करना और रात में सजदे की हालत में अल्लाह की आयतें पढ़ना इंसान की कीमत के मानक हैं।
5️⃣ रात को इबादत और सजदे में कुरान की तिलावत को बढ़ावा देना।


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तफ़सीर राहनुमा, सूर ए आले-इमरान

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