रविवार 9 जून 2024 - 13:02
दूसरे को कोई बात समझने के लिए नमाज़ का कोई ज़िक्र पढ़ना

हौज़ा / अगर नमाज़ के किसी हिस्से की अदायगी में कस्द कुर्बत ना रखें जबकी रिया की नीयत भी न रखता हो तो क्या नमाज सही है? जैसे किसी दूसरे को कोई बात समझने के लिए रुकू के ज़िक्र को ऊंची आवाज़ में पढ़े।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।

सवाल : अगर नमाज़ के किसी हिस्से की अदायगी में कस्द कुर्बत ना रखें जबकी रिया की नीयत भी न रखता हो तो क्या नमाज सही है? जैसे किसी दूसरे को कोई बात समझने के लिए रुकू के ज़िक्र को ऊंची आवाज़ में पढ़े।

जवाब : उस सूरत में कि जब इस हिस्से की भरपाई की जा सकती हो,और कस्द कुर्बत और नमाज़ के हिस्से की नीयत से इसे दोबारा दोहरा ले तो इसकी नमाज़ सही हैं।

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha