۳۱ اردیبهشت ۱۴۰۳ |۱۲ ذیقعدهٔ ۱۴۴۵ | May 20, 2024
शरई

हौज़ा /अगर ग़ुस्ल या तयम्मुम किसी चीज़ का वक्त ना हो तो और रोज़ा रख सकती है और उसका रोज़ा सही हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।

सवाल : अगर कोई औरत माहे रमज़ान उल मुबारक में सुबह की आज़ान के नज़दीक हैज़ या नेफास से पाक हो जाए और ग़ुस्ल या तयम्मुम किसी के लिए वक्त बाकी ना हो तो क्या वह रोज़ा रख सकती हैं?

जवाब : अगर ग़ुस्ल या तयम्मुम किसी चीज़ का वक्त ना हो तो और रोज़ा रख सकती है और उसका रोज़ा सही हैं।

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