۳۱ اردیبهشت ۱۴۰۳ |۱۲ ذیقعدهٔ ۱۴۴۵ | May 20, 2024
शरई अहकाम

हौज़ा / अगर इसे इत्मीनान हो कि किसी हराम में जैसे नज़रे हराम या लम्स वगैरह में मुब्तीला ना हो तो जायज हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी से पूछे गए सवाल का जवाब दिया हैं जो शरई मसाईल में दिलचस्पी रखते हैं उनके लिए यह बयान किया जा रहा हैं।

सवाल : क्या किसी ना महरम के साथ लिफ्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है जबकि उस वक्त कोई तीसरा आदमी मौजूद न हो मगर इंसान को खुद पर इत्मीनान हो कि किसी हरम में मुफ्तीला नही होगा?

उत्तर: अगर इसे इत्मीनान हो कि किसी हराम में जैसे नज़रे हराम या लम्स वगैरह में मुब्तीला ना हो तो जायज हैं।

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