हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "गेरारूल हिकम" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال امیرالمؤمنين عليه السلام
صَیِّرِ الدِّینَ حِصنَ دَولَتِکَ، و الشُّکرَ حِرزَ نِعمَتِکَ، فَکُلُّ دَولَةٍ یَحوطُها الدِّینُ لا تُغلَبُ، و کلُّ نِعمَةٍ یَحرُزُها الشُّکرُ لا تُسلَبُ
हज़रत इमाम अली अ.स. ने फरमाया:
दीन को अपनी हुकूमत का किला करार दो,और शुक्र अदा करने को अपनी नेयत का मुहाफिज़,
क्योंकि हर हुकूमत जो दीन के हिस्से में हो वह कभी पराजित नहीं होती है और हर नेयत की जिसका मुहाफिज़ शुक्रगुज़ारी से हो कभी बर्बाद नहीं होती।
गेरारूल हिकम व दोरारूल कलाम,हदीस नं 5831
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