सोमवार 2 सितंबर 2024 - 13:03
अव्वले वक्त मे नमाज़ जमाअत के साथ पढ़ना महत्वपूर्ण है या अज़ादारी, मजालिस या जुलूसे इमाम हुसैन (अ) के बाद?

हौज़ा/अहले-लबैत (अ) केअनुयायियों के माध्यम से यह आवश्यक है कि वे पहले जमाअत के साथ नमाज अदा करने का प्रयास करें, क्योंकि कर्बला में उठाए गए सभी कष्ट और कठिनाइयाँ धर्म की स्थापना के लिए थीं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

अव्वले वक्त मे नमाज़ जमाअत के साथ पढ़ना महत्वपूर्ण है या अज़ादारी, मजालिस या जुलूसे इमाम हुसैन (अ) के बाद?

आयाते एज़ाम इमाम ख़ुमैनी, ख़ामेनई, बहजत, तबरेज़ी, सिस्तानी, साफ़ी, फ़ाज़िल, मकारिम, नूरी, वहीद :

चूँकि हज़रत इमाम हुसैन (अ) की इमामत के दौरान ज़ोहर की नमाज़ आशूरा के दिन अव्वले वक्त पढ़ी गई थी, इसलिए जमअत से नमाज़ अदा करना सबसे महत्वपूर्ण है।

अहले-लबैत (अ) के अनुयायियों के लिए यह आवश्यक है कि वे पहले जमाअत के साथ नमाज अदा करने का प्रयास करें, क्योंकि कर्बला में जो भी कष्ट और कठिनाइयाँ उठायी गयीं, वे धर्म की स्थापना के लिए थीं।

फ़ाज़िल, जामे अल-मसाइल, भाग 1 सवाल 2176 और 2177; नूरी, इस्तिफ़ायत, बाग 2, सवाल 599

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