हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام المجتبی علیه السلام
لا یَنبغی لِمَن عَرَفَ عَظَمَةَ اللّه أن یَتَعاظَمَ، فإنّ رِفعَةَ الذینَ یَعلَمونَ عَظَمَةَ اللّه أن یَتَواضَعُوا ، و (عِزَّ) الذینَ یَعرِفُونَ ما جَلالُ اللّه أن یَتَذَلَّلُوا (لَهُ)
हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
उस आदमी के लिए जो अल्लाह ताला की अज़मत और बुजुर्गी को जानता हैं यह मुनासिब नहीं कि वह खुद को बड़ा समझे, क्योंकि जो लोग अल्लाह ताला की अज़मत को पहचानते हैं उनकी बुलंदी इसी में है कि वह आज्ज़ी अख्तियार करें, और जो लोग खुदा के जलाल और मर्तबे को जानते हैं उनकी इज्जत इसी में है कि वह खुद को छोटा ज़ाहिर करें।
बिहारूल अनवार, 78/104/349