हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الصادق علیه السلام
ليسَ للعَبدِ قَبضٌ و لا بَسطٌ مِمّا أمَرَ اللّه ُ بهِ أ نَهَى اللّه ُ عَنهُ إلاّ و مِن اللّه ِ فيهِ ابتِلاءٌ
हज़रत इमाम जाफर सादीक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
अल्लाह तआला ने जिस चीज़ के भी बजा लाने या उसके अंजाम से मना किया हैं, उसमें इस बंदे के लिए कोई तंगी या ढील नहीं होती मगर यह की उस काम में अल्लाह ताला का इसे इम्तिहान करना मकसद होता हैं।
बिहारूल अनवार,7/217/5