हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया हैं इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال رسول الله صلی الله علیه وآله
مَنْ قَادَ ضَرِیرًا إِلَى الْمَسْجِدِ، أَوْ إِلَى مَنْزِلِهِ، أَوْ إِلَى حَاجَةٍ مِنْ حَوَائِجِهِ، کَتَبَ اللَّهُ لَهُ بِکُلِّ قَدَمٍ رَفَعَهَا، أَوْ وَضَعَهَا عِتْقَ رَقَبَةٍ، وَصَلَّتْ عَلَیْهِ الْمَلاَئِکَةُ حَتَّى یُفَارِقَهُ
हज़रत रसूल अल्लाह स.ल. ने फरमाया:
जो भी नाबीना आदमी को मस्जिद या उसके घर या जहां वह जाना चाहता हो पहुंचा दे तो अल्लाह ताला इसके साथ उठना और ज़मीन पर रखे जाने वाले हर कदम के बदले में इसके नायए आमाल में गुलाम को आज़ाद करने का सवाब लिखेगा और फरिश्ते इस पर नबीना आदमी से जुदा होने तक दुरूद भेजते रहेंगे।
बिहारूल अनवार,भाग 73,पेज 359