हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال الصادق علیہ السلام
ما مِن عَمَلٍ حَسَنٍ یَعمَلُهُ العَبدُ إِلّا وَلَهُ ثَوابٌ في القُرانِ إِلّا صَلَاةَ اللَّیلِ فَإِنَّ اللّهَ لَم یُبَیِّن ثَوابَهَا لِعِظَمِ خَطَرِها عِندَهُ فَقالَ: «تَتَجافی جُنُوبُهُم عَنِ المَضاجِعِیَدعونَ رَبَّهُم خَوفاً وَ طَمَعاً وَ مِمّا رَزَقناهُم یُنفِقونَ -إِلَی قَولِه- یَعمَلُونَ»؛
हज़रत इमाम जाफर सादीक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
हर नेक काम जो बंदा अंजाम देता हैं,कुरआन मजीद में इसके लिए सवाब का जिक्र हुआ हैं,
मगर नमाज़ ए शब कि इसकी खुदा के नज़दीक इस कद्र अहमियत हैं कि इसका सवाब बयान नही फरमाया बल्कि इसके बारे में अल्लाह तआला ने फरमाया वह अपने पहलुओं (जिस्मों) को बिस्तर से दूर करते और खौवफ और उम्मीद के बल बुते पर अपने रब को पुकारते हैं।
और जो रिज़्क हमने इन्हें अता किया है इसमें से एक इनफाक करते हैं और कोई नहीं जानता कि जो जो कुछ उन्होंने किया है उस जज़ा में कैसी कैसी खुशियां इनके लिए छुपी हुई है।
बिहारूल अनवार, भाग 8,पेंज 126