हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस कथन का पाठ इस प्रकार है:
:قال امیر المؤمنين عليه السلام
لا يَصْدُقُ إيمانُ عبدٍ حتّى يَكونَ بما في يَدِ اللّه ِ سبحانه أوْثَقَ مِنه بما في يَدِهِ
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
किसी व्यक्ति का ईमान उस समय तक सच्चा और कामिल नहीं होता जब तक कि उसका इत्मीनान अपने से ज़्यादा उस पर न हो जो ख़ुदा के पास है।
बिहारूल अनवार,103/37/79