हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हिज़्बुल्लाह द्वारा इज़राइली सेना को मिलने वाली हारें और असफलताएँ क्षेत्र में इज़राइल की शक्ति और उसकी सैन्य रणनीति पर सवाल उठाती हैं।
हिज़्बुल्लाह, जो लेबनान की एक संगठन और सशस्त्र प्रतिरोधी संगठन है, ने कई बार इज़राइली सेना को मुश्किल में डाला और एक मजबूत प्रतिरोध का प्रदर्शन किया जिसकी मिसाल दुनिया में नहीं मिलती। इस प्रकार की घटनाओं ने इज़राइली सैन्य प्रणाली की कमियों को उजागर किया है।
हिज़्बुल्लाह द्वारा इज़राइली सेना को हराने के कुछ प्रमुख कारण:
1. जमीनी अभियानों में असफलता: 2006 के युद्ध में इज़राइली सेना ने जमीनी हमलों में सफलता पाने की कोशिश की, लेकिन हिज़्बुल्लाह की गुरिल्ला रणनीति और स्थानीय क्षेत्रों पर मजबूत पकड़ ने इज़राइली सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया यह युद्ध एक उदाहरण बन गया कि कैसे एक मजबूत रक्षा प्रणाली एक बड़ी सेना को रोक सकती है।
2. हिज़्बुल्लाह की रणनीति और गुरिल्ला युद्ध: हिज़्बुल्लाह ने आधुनिक गुरिल्ला युद्ध की रणनीति अपनाई, जिसमें उन्होंने इज़राइली सेना पर अप्रत्याशित हमले किए यह रणनीति इज़राइली सेना के पारंपरिक सैन्य ढांचे को विफल करने में सफल रही।
3. सैनिकों की बेहतर प्रशिक्षण: हिज़्बुल्लाह ने अपने लड़ाकों को आधुनिक प्रशिक्षण दिया जिसमें हथियारों का इस्तेमाल रक्षात्मक रणनीति और साइबर युद्ध भी शामिल हैं। इस प्रशिक्षण के कारण हिज़्बुल्लाह के लड़ाके कुशलता से इज़राइली सेना का सामना कर पाते हैं।
4. मजबूत खुफिया नेटवर्क: हिज़्बुल्लाह का एक मजबूत खुफिया नेटवर्क है जो इज़राइली सेना की गतिविधियों पर नजर रखता है और उसी के अनुसार अपनी रणनीति तैयार करता है इस नेटवर्क ने इज़राइली सेना के हमलों को पहले से भांपकर उन्हें नाकाम किया है।
5. जनता का समर्थन: हिज़्बुल्लाह को लेबनान की जनता और ईरान का पूर्ण समर्थन प्राप्त है, जो उन्हें संसाधनों और हौसले में वृद्धि देता है जनता के समर्थन से हिज़्बुल्लाह को इज़राइली सेना के खिलाफ मजबूती से लड़ने और अपनी स्थिति को बनाए रखने में मदद मिलती है।
6. इज़राइली सेना की सीमित रणनीति: इज़राइली सेना पारंपरिक हथियारों और बड़ी सैन्य शक्ति पर निर्भर करती है जो कि हिज़्बुल्लाह की गैर-पारंपरिक रणनीतियों के सामने प्रभावी साबित नहीं होती हिज़्बुल्लाह ने छोटे हथियारों, बख्तरबंद वाहनों पर हमलों और अन्य कुशल रणनीतियों के साथ इज़राइली सेना को भारी नुकसान पहुँचाया है।
7. मनोवैज्ञानिक प्रभाव: हिज़्बुल्लाह द्वारा बार-बार इज़राइली सेना को हार का सामना करने से उनके मनोबल और जनता के समर्थन पर भी असर पड़ा है हिज़्बुल्लाह की सफलता से इज़राइली समाज में यह सवाल भी उठे हैं कि क्या इज़राइली सेना वास्तव में हर चुनौती का सामना कर सकती है।
निष्कर्ष:
हिज़्बुल्लाह द्वारा इज़राइली सेना को लगातार चुनौती देना और कम संसाधनों के बावजूद उसे हार का सामना कराना एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि कैसे एक संगठित प्रतिरोधी समूह एक बड़ी पारंपरिक सैन्य शक्ति को नुकसान पहुँचा सकता है।
हिज़्बुल्लाह ने अपनी सैन्य कुशलता, जनता के समर्थन और गुरिल्ला रणनीतियों के माध्यम से इज़राइली सेना को कई मोर्चों पर पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है।
इससे इज़राइली सेना की रणनीति में मौजूद कमियाँ भी उजागर हुई हैं और दुनिया के सामने इज़राइल की सैन्य शक्ति का एक अलग पहलू पेश हुआ है।
लेखक: अमानत अली हुसैनी
 
             
                 
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                         
                                        
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