हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, निम्नलिखित परंपरा "मकारिम अल-अखलाक" पुस्तक से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
جَاءَ رَجُلٌ إِلَى اَلْحَسَنِ عَلَيْهِ السَّلاَمُ يَسْتَشِيرُهُ فِي تَزْوِيجِ اِبْنَتِهِ فَقَالَ زَوِّجْهَا مِنْ رَجُلٍ تَقِيٍّ فَإِنَّهُ إِنْ أَحَبَّهَا أَكْرَمَهَا وَ إِنْ أَبْغَضَهَا لَمْ يَظْلِمْهَا.
एक व्यक्ति अपनी बेटी की शादी के बारे में सलाह लेने के लिए इमाम हसन मुजतबा (अ) के पास आया। इमाम (अ) ने उससे कहा: "इसकी शादी किसी नेक और धर्मपरायण (मुत्तक़ी) व्यक्ति से कर दो, क्योंकि अगर वह उससे प्यार करता है, तो वह उसके साथ अच्छा व्यवहार करेगा आदर और सम्मान के साथ, और भले ही वह उससे प्यार न करे, कम से कम वह उस पर अत्याचार नहीं करेगा।
मकारिम अल-अख़लाक़, भाग 1, पेज 204
आपकी टिप्पणी