रविवार 26 जनवरी 2025 - 13:22
हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की शहादत के मौके पर विभिन्न देशों से आए हुए ज़ायरीन काज़मैन पहुंच रहे हैं

हौज़ा / हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की शहादत का मौका पर शिया समुदाय के लिए एक बेहद गमगीन अवसर है इस मौके पर दुनिया के विभिन्न देशों से ज़ायरीन इराक के काज़मैन में उनकी ज़ियारत के लिए पहुंच रहे हैं।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की शहादत का मौका पर शिया समुदाय के लिए एक बेहद गमगीन अवसर है इस मौके पर दुनिया के विभिन्न देशों से ज़ायरीन इराक के काज़मैन में उनकी ज़ियारत के लिए पहुंच रहे हैं।

एक शहर जो इमाम के नाम पाकर पवित्र हो गया। काज़ेमैन एक छोटा सा शहर जो बग़दाद के उत्तरी उपनगरीय भाग में है इमाम मूसा काज़िम और इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिमुस्सलाम से निसबत पाकर  विश्व विख्यात हो गया इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम के शहादत दिवस पर इस शहर में हर तरफ़ ग़म है बेताबी है।

ज़ियारत के लिए आए श्रद्धालु भाव में डूबकर कहते हैं कि काज़ेमैन हमारे लिए पवित्र है यह इतिहास के अहम दौर का आईना है। इमामों की क़ब्रों की वजह से इस शहर की पवित्रता बढ़ी। इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम की शहादत के दिन का शोक श्रद्धालु बड़े पैमाने पर मनाते हैं।

लोग दूर दूर से पैदल चलकर ज़ियारत के लिए पहुंचते हैं उनका कहना है कि हम पैदल ज़ियारत में भी शरीक हुए। वाक़ई यहां का माहौल दिल में उतर जाने वाला है सारे ज़ायरीन का यहां इंतेज़ार है।

इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम बड़े मज़लूम इमाम हैं जिन्होंने अपनी उम्र के 25 साल मदीना बसरा और बग़दाद में ज़ालिम हुक्मरानों की भूमिगत जेलों में गुज़ारे। 183 हिजरी क़मरी में हारून रशीद के कारिंदों ने उन्हें शहीद कर दिया।

हज़रत इमाम मूसा काज़िम अलैहिस्सलाम ने अपनी पूरी ज़िंदगी जेहाद में गुज़ारी और उनका जेहाद लोगों को जागरूक करना और इस्लाम के रास्ते से भटकने से बचाना था।

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