हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,मजलिस ए उलमा अहले बैत अ.स. पाकिस्तान के सदर अल्लामा सैयद हसनैन अब्बास गर्दीजी ने यौम-ए-शहादत-ए-इमाम अली (अ.स.) के मौके पर मीडिया से जारी अपने बयान में कहा कि मैं तमाम आलम-ए-इस्लाम को अमीर-उल-मोमिनीन (अ.स.) की शहादत पर ताज़ियत पेश करता हूँ।
उन्होंने कहा कि चाहे वह अदल व इंसाफ हो या बहादुरी इबादत हो या अक़्ल व हिकमत, सख़ावत हो या पाकीज़गी नबी करीम (स.ल.) के अलावा पूरी कायनात में मौला अली (अ) का कोई सानी नहीं।
उन्होंने आगे बयान किया कि हमारे आख़िरी नबी (स.ल.व.) का इरशाद है,अली मुझसे हैं और मैं अली से हूँ। हदीसों में रसूल-ए-अकरम (स.ल.व.)से यह भी रिवायत है कि अगर तुम तमाम अंबिया (पैगंबरों) के औसाफ़ (गुण) एक जगह देखना चाहते हो, तो मेरे भाई अली (अ) को देखो।
अल्लामा गर्दीजी ने आगे कहा कि मौला-ए-कायनात हज़रत अली (अ.स.) की हयात-ए-तैय्यबा से हमें यतीमों की परवरिश का सबक लेना चाहिए। हज़रत अली (अ) उम्मत के लिए एक पिता के दर्जे में हैं।
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