हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, आयतुल्लाह बहजत दुआ की अहमियत और उसकी क़बूलियत के शरई तरीक़ों पर ज़ोर देते हैं और हाजत पूरी होने के लिए एक मुफ़ीद रास्ता पेश करते हैं।
उनके अनुसार, जब इंसान दूसरों के लिए, ख़ास तौर पर उन लोगों के लिए जो उसी तरह की परेशानियों में फंसे हों, दुआ करता है, तो उसकी अपनी दुआ के क़बूल होने के चांस बढ़ जाते हैं।
आयतुल्लाह बहजत फ़रमाते हैं:
दुआ की क़बूलियत और हाजत पूरी होने के शरई तरीकों में से एक यह है कि जो शख्स किसी हाजत या मुश्किल में हो, वह अल्लाह से यह दुआ करे कि जो भी मोमिन या मोमिना इसी तरह की परेशानी में है, ख़ुदा उनकी भी मुश्किल दूर करे।
और जिनकी भी वैसी ही हाजतें हैं, उन्हें भी पूरी करे। तो ऐसी सूरत में एक फ़रिश्ता खुद उस शख्स के लिए दुआ करता है और फ़रिश्ते की दुआ क़बूल होती है।
माख़ज़: बहजतुद्दुआ, पेज 28
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