मंगलवार 14 जनवरी 2025 - 13:44
अल्लाह तअला एतेकाफ़ करने वालो को मायूस नही पलटताः आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली

हौज़ा / ख़ुदा तआला एतेकाफ़ करने वालो को जो उसके आस्ताने के सामने होते हैं, मायूस वापस नहीं लौटाता। अगर इत्तिकाफ़ी दुआ में भी मशगूल हो, जो उसे ख़ुदा के करीब करने का एक और ज़रिया है, तो उसमें पाँच बुनियादी तत्व (नमाज़, रोज़ा, दुआ, मस्जिद में हाज़िरी, और मोअतकिफ़ होते हैं, और वह दुआ करने के लिए सबसे बेहतरीन हालत में होता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, आयतुल्लाह जवादी आमोली ने रजब के महीने में अय्याम-ए-एतेकाफ़ के मौके पर "एतेकाफ़ की हालत में दुआ और मुनाजात" के विषय पर बात करते हुए कहा: "ख़ुदा तआला सभी के करीब है, लेकिन रोज़ेदारों, दुआ करने वालों, नमाज पढ़ने वालों, और अपने मेहमानों (ज़ैफ़ुल रहमान) के और भी करीब है। इसलिए, एतेकाफ़ करने वाला इंसान कई पहलुओं से ख़ुदा के करीब होता है। उसका रोज़ा उसे करीब करता है, क्योंकि वह उसे 'क़ुरबतन एलल लल्लाह' (ख़ुदा की ख़ातिर) अंजाम देता है। उसकी नमाज़ उसे करीब करती है, क्योंकि 'अस्सलातो क़ुर्बानुन कुल्ला तक़ी' (नमाज़ हर परहेज़गार के लिए करीब होने का ज़रिया है)। मस्जिद में उसकी हाज़िरी उसे करीब करती है, क्योंकि वह ख़ुदा के घर में है, जो अपने रोज़ेदार और नेक बंदों को मायूस वापस नहीं लौटाता। एतेकाफ़ भी ख़ुद-ब-ख़ुद उसके करीब होने का ज़रिया है।

उन्होंने कहा कि ख़ुदा तआला एतेकाफ़ करने वालो को जो उसके आस्ताने के सामने होते हैं, मायूस वापस नहीं लौटाता। अगर इत्तिकाफ़ी दुआ में भी मशगूल हो, जो उसे ख़ुदा के करीब करने का एक और ज़रिया है, तो उसमें पाँच बुनियादी तत्व (नमाज़, रोज़ा, दुआ, मस्जिद में हाज़िरी, और मोअतकिफ़ होते हैं, और वह दुआ करने के लिए सबसे बेहतरीन हालत में होता है।

आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली ने आगे कहा कि इत्तिकाफ़ी को चाहिए कि वह इस हालत में सबसे पहले वली-अस्र हज़रत बकिय्यतुल्लाह (अरवाहुना फिदाह) के ज़ुहूर की दुआ करे, फिर इस्लामी निज़ाम की बक़ा और इस्तिहकाम, रहबर-ए-मुअज़्ज़म की हिफ़ाज़त, होज़ा इलमिया की बक़ा और इस्तिहकाम, होज़ा की रूहानी तरक़्क़ी और बुलंदी, मराजे तकलिद की हिफ़ाज़त, और इस्लाम की अज़मत तथा मशरिक और मग़रीब के मुफ़्लिस मुसलमानों की नजात के लिए ख़ुदा तआला से दुआ करे।"

टैग्स

आपकी टिप्पणी

You are replying to: .
captcha