मंगलवार 10 जून 2025 - 09:42
क़ुरआन मे रज्अत

हौज़ा / क़ुरआन की आयतों और अहले बैत (अलैहेमुस्सलाम) की हदीसों के अनुसार, कुछ मृतक लोग इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) के ज़माने में फिर से इस दुनिया में लौटेंगे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार,  क़ुरआन के कई आयतों में कुछ मृतकों के फिर से ज़िंदगी में लौटने का जिक्र किया गया है।

हज़रत उज़ैर (अलैहिस्सलाम):
हज़रत उज़ैर (अलैहिस्सलाम) एक सौ साल तक मुर्दा थे, फिर अल्लाह की इच्छा से जीवित होकर इस दुनिया में लौट आए और कई सालों तक जीवन बिताया।

أَوْ کَالَّذِی مَرَّ عَلَیٰ قَرْیَةٍ وَهِیَ خَاوِیَةٌ عَلَیٰ عُرُوشِهَا قَالَ أَنَّیٰ یُحْیِی هَٰذِهِ اللَّهُ بَعْدَ مَوْتِهَا فَأَمَاتَهُ اللَّهُ مِائَةَ عَامٍ ثُمَّ بَعَثَهُ قَالَ کَمْ لَبِثْتَ قَالَ لَبِثْتُ یَوْمًا أَوْ بَعْضَ یَوْمٍ قَالَ بَلْ لَبِثْتَ مِائَةَ عَامٍ فَانْظُرْ إِلَیٰ طَعَامِکَ وَشَرَابِکَ لَمْ یَتَسَنَّهْ وَانْظُرْ إِلَیٰ حِمَارِکَ وَلِنَجْعَلَکَ آیَةً لِلنَّاسِ وَانْظُرْ إِلَی الْعِظَامِ کَیْفَ نُنْشِزُهَا ثُمَّ نَکْسُوهَا لَحْمًا ۚ فَلَمَّا تَبَیَّنَ لَهُ قَالَ أَعْلَمُ أَنَّ اللَّهَ عَلَیٰ کُلِّ شَیْءٍ قَدِیرٌ औकल लज़ी मर्रा अला क़रयतिन व हेया ख़ावेयतुन अला उरूशेहा क़ाला अन्नी योहयी हाज़ेहिल्लाहो बादा मौतेहा फ़अमानतुल्लाहे मेअता आमिन सुम्मा बआसहू क़ाला कम लबिस्ता क़ाला लबिस्तो यौमन औ बाज़ा यौमिन क़ाला बल लबिस्ता मेअता आमिन फ़न्ज़ुर एला तआमेका व शराबेका लम यतसन्नह वनज़ुर एला हेमारेका व लेनज्अलका आयातन लिन नासे वनज़ुर एलल ऐज़ामे कैफ़ा नुनशेरोहा सुम्मा नकसूहा लहमन फ़लम्मा तबय्यना लहू क़ाला आलमो अन्नल्लाहा अला कुल्ले शैइन कद़ीर

या उस व्यक्ति की तरह जो एक बस्ती के पास से गुजरा, जो पूरी तरह से उजाड़ और खंडहर हो चुकी थी, उसके मकानों की छतें गिर चुकी थीं। उसने सोचा, "यह सब मरने के बाद अल्लाह कैसे ज़िंदा करेगा?" तब अल्लाह ने उसे सौ साल तक सोने दिया, फिर उसे ज़िंदा किया और पूछा, "तुम कितने समय तक रुके रहे?" उसने कहा, "मैं एक दिन या उससे भी कम रुका।" अल्लाह ने कहा, "नहीं, तुम सौ साल रुके रहे। अपना खाना-पीना देखो, जो तुम्हारे पास था, वह सड़ा नहीं है। और अपने गधे को देखो, जो पूरी तरह से सड़ चुका है। हम तुम्हें लोगों के लिए एक निशानी बनाते हैं। अब अपनी हड्डियों को देखो कि हम उन्हें कैसे उठाते हैं और फिर उन पर मांस चढ़ाते हैं।" जब यह सब उसके लिए स्पष्ट हो गया, तो उसने कहा, "मैं जानता हूँ कि अल्लाह हर चीज़ पर क़ादिर है।" (सूर ए बकरा, आयत 259)

बनी इस्राइल की चुनी हुई जाति

मूसा (अलैहिस्सलाम) की क़ौम बनी इस्राइल के चुनिंदा सत्तर लोग उनके साथ कोहे तूर पर गए ताकि वे मूसा (अलैहिस्सलाम) और खुदा के बीच की बातचीत और खुदा की ओर से दिए गए पत्थर की तख्तियों को देख सकें। जब उन्होंने मूसा (अलैहिस्सलाम) को खुदा से बात करते देखा, तो उन्होंने कहा, "हे मूसा, हम तब तक तुम पर ईमान नहीं लाएंगे जब तक कि खुदा को साफ़ तौर पर न देख लें।"

मूसा (अलैहिस्सलाम) ने उन्हें इस गलत और असंभव मांग से रोकने की कोशिश की, लेकिन वे ज़िद करने लगे। अंत में, वे सब खुदा की बिजली की मार से मारे गए। मूसा (अलैहिस्सलाम) इस घटना से दुखी हुए और बनी इस्राइल के बीच इसके नतीजों को लेकर चिंतित थे। इसलिए उन्होंने खुदा से दुआ की कि उन लोगों को फिर से ज़िंदगी दी जाए। उनकी दुआ कबूल हुई और खुदा ने उन्हें फिर से ज़िंदगी दी।

ثُمَّ بَعَثْنَاکُمْ مِنْ بَعْدِ مَوْتِکُمْ لَعَلَّکُمْ تَشْکُرُونَ सुम्मा बअसनाकुम मिन बादे मौतेकुम लअल्लकुम तशकोरून

फिर हमने तुम्हें तुम्हारी मौत के बाद ज़िंदा किया ताकि तुम शुक्रगुजार बनो। (सूर ए बकरा, आयत 56)

भविष्य में दुनिया में वापसी (रजअत)

وَیَوْمَ نَحْشُرُ مِنْ کُلِّ أُمَّةٍ فَوْجًا مِمَّنْ یُکَذِّبُ بِآیَاتِنَا فَهُمْ یُوزَعُونَ व यौमा नहशोरू मिन कुल्ले उम्मतिन फ़ौजन मिम्मन योकज़्ज़ेबो बेआयातेना फ़हुम यूज़ऊन

और उस दिन को याद करो जब हम हर उम्मत में से उन लोगों के एक झुंड को जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया था, एकत्र करेंगे; और उन्हें एक-दूसरे के पास रखेंगे। (सूर ए नमल, आयत 83)

इस आयत में उस दिन की बात हो रही है जब कुछ लोग फिर से ज़िंदा किए जाएंगे; इसलिए यह क़यामत के दिन से अलग किसी दिन की ओर इशारा है, क्योंकि क़यामत के दिन सभी इंसान—पहले से आखिरी तक—इकट्ठे किए जाएंगे। जैसा कि कुरान में कहा गया है:

وَیَوْمَ نُسَیِّرُ الْجِبَالَ وَتَرَی الْأَرْضَ بَارِزَةً وَحَشَرْنَاهُمْ فَلَمْ نُغَادِرْ مِنْهُمْ أَحَدًا वयौमा नोसय्येरुल जेबाला व तरल अर्ज़ा बारेज़तन व हशरनाहुम फ़लम नोग़ादिर मिनहुम अहदन

और उस दिन को याद करो जब हम पहाड़ों को हिला देंगे, और तुम ज़मीन को सपाट और साफ़ देखोगे; और हम इंसानों को इकट्ठा करेंगे, और किसी को भी छोड़ेंगे नहीं। (सूर ए कहफ़, आयत 47)

मरहूम तबरसी ने अपनी तफ़सीर 'मज्मअ अल-बयान' में सूरह नमल की आयत 83 के नीचे लिखा है कि अहले-बैत (अलैहिमुस्सलाम) की कई हदीसों के अनुसार, यह आयत उन शियो के एक समूह और कुछ उनके दुश्मनों के बारे में है, जो इमाम महदी (अलैहिस्सलाम) के ज़माने में फिर से दुनिया में लौटेंगे।

क़ुरआन की एक और आयत में भी भविष्य में दुनिया में वापसी (रजअत) का ज़िक्र है:

وَحَرَامٌ عَلَیٰ قَرْیَةٍ أَهْلَکْنَاهَا أَنَّهُمْ لَا یَرْجِعُونَ व हरामुन अला क़रयतिन अहलकनाहा अन्नहुम ला यरजेऊना

और उन नगरों और बस्तियों पर जो हमने (उनके गुनाहों के कारण) तबाह कर दिया, यह वर्जित है कि वे (दुनिया में) लौटें; वे कभी वापस नहीं आएंगे। (सूर ए अम्बिया, आयत 95)

यह आयत भी रजअत के सबसे महत्वपूर्ण सबूतों में से एक है, क्योंकि क़यामत के दिन सभी लोग, जिनमें वे तबाह हो चुके क़ौम भी शामिल हैं, अल्लाह के अज़ाब के लिए लौटाए जाएंगे।

इमाम बाक़िर और इमाम सादिक़ (अलैहिमुस्सलाम) ने इस आयत की तफ़सीर करते हुए फ़रमाया है:

فهذه الآیة من أعظم الدلالة فی الرجعة، لان أحدا من أهل الاسلام لا ینکر أن الناس کلهم یرجعون إلی القیامة، من هلک ومن لم یهلک، فقوله: «لا یرجعون» عنی فی الرجعة، فأما إلی القیامة یرجعون حتی یدخلوا النار फ़हाजेहिल आयतो मिन आज़मिद दलालते फ़िर रज्अते, लेअन्ना अहदन मिन अहलिल इस्लामे ला यंकरो अन्नन नासा कुल्लोहुम यरजऊना इलल क़यामते, मिन हलकिन व मिन लम यहलुक, फ़क़ौलोहूः (ला यरजऊना) अन्नी फ़िर रज्अते, फ़अम्मा एलल क़यामते यरजऊना हत्ता यदख़ोलुन नारा

यह आयत रजअत (दुनिया में वापसी) के सबसे बड़े सबूतों में से एक है, क्योंकि किसी भी मुस्लिम से यह इनकार नहीं किया जा सकता कि सभी लोग क़यामत के दिन लौटेंगे, चाहे वे मरे हुए हों या जिनका नाश नहीं हुआ हो। इसलिए अल्लाह का कहना 'वे वापस नहीं आएंगे' (ला यरजून) रजअत के बारे में है, लेकिन क़यामत के दिन वे सभी वापस आते हैं ताकि आग में डाल दिए जाएं। (बिहार उल अनवार, भाग 53, पेज 52)

इक़्तेबास: किताब "नगीन आफरिनिश" से (मामूली परिवर्तन के साथ)

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