हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, भारत मे सुप्रीम लीडर के प्रतिनिधि हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन डॉ अब्दुल मजीद हकीम इलाही ने अमेरिकी राष्ट्रपति की सुप्रीम लीडर से संबंधित दुसाहस की कड़ी निंदा की है और उसे तमाम इस्लामी और इंसानी इक़दार पर हमला बताया है। उनके इस निंदनीय बयान का पूरा पाठ निम्नलिखित हैछ
बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम
إِن تَمسَسْكُمْ حَسَنَةٌ تَسُؤْهُمْ ۖ وَإِن تُصِبْكُمْ سَيِّئَةٌ يَفْرَحُوا بِهَا ۖ وَإِن تَصْبِرُوا وَتَتَّقُوا لَا يَضُرُّكُمْ كَيْدُهُمْ شَيْئًا ۗ إِنَّ اللَّهَ بِمَا يَعْمَلُونَ مُحِيطٌ इन तमससकुम हसनतुन तसूहुम व इन तोसिबकुम सय्येअतुन यफ़रहू बेहा व इन तसबेरू व तत्तक़ू ला यज़ुर्रोकुम कयदोहुम शैअन इन्नलालाहा बेमा यअमलूना मोहीत (सूर ए आले इमरान आयत न 120)
अस्सलामो अलैकुम व रहमतुल्लाह व बराकातोह
नबी करीम मुहम्मद मुस्तफ़ा (स) और आपके अहले बैत (अ) पर दुरूद व सलाम, और भारतीय भूमि के जलीलुल क़द्र विद्वानो, प्रिय बुद्धिजीवीयो और बा बसीरत मोमेनीन की सेवा मे अदब व इखलास के साथ सलाम अर्ज है।
ऐसे हस्सास दिनो मे, जब वैश्विक अहंकार ने एक बार फिर अपने शैतानी चेहरे को बे नक़ाब करते हुए, इस्लामी गणराज्य ईरान और उसके मज़लूम मगर बा वक़ार जनता के खिलाफ़ अतिक्रमण शैली अपनाई है, और मरज ए आली मक़ाम सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली ख़ामेनेई (दामा ज़िल्लोह आली) को धमकी भरा और अपमान जनक अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर निशाना बनाया गया है तो सब पर यह वाजिब हो जाता है कि अपने दीनी, ईमानी और इंसानी कर्तव्य के तहत बसीरत और जागरुकता पर आधारित स्टैंड अपनाए।
सुप्रीम लीडर, हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा इमाम ख़ामेनेई (दामा जिल्लोह आली) केवल ईरानी राष्ट्र के नेता नही, बल्कि अस्रे हाज़िर मे इस्लामी उम्मत की इज़्ज़त, एकता, प्रतिरोध और धार्मिक जागरुकता की निशानी है। इनकी ज़ात पर हमला हक़ीक़त मे पूरे इस्लामी और इंसानी इकदार पर हमला है, और इतिहास साक्षी है कि ऐसा नापाक कार्रवाई का अंजाम हमेशा रुसवाई, ज़िल्लत और नाकामी ही रहा है
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की अभद्र भाषा ना केवल राजनीति और निचले दर्जे की नैतिकता की दलील है, बल्कि उसके पीछे वैश्विक ज़ायोनिस्ट के कुरूप चेहरे को भी बे नक़ाब करती है, जो मज़लूम राष्ट्र पर अत्याचार की आग को मुसलसल भड़का रहा है।
इस संदर्भ मे हम दिल की गहराईयो से इन सभी मानवीय और क्रांतिकारी कार्रवाई की सराहना करते है जो भारतीय भूमि के जागरुक विद्वान, फ़ाज़िल तुल्लाब, मुखलिस मोमेनीन और ग़य्यूर जनता ने अंजाम दिए। विशेष कर
- वो रूह परवर दुआ और मुनाजात की सामूहिक बैठके, जो सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़्मा इमाम सय्यद अली ख़ामेनेई (दामा जिल्लोह आली) की सलामती, प्रतिरोधी मोर्चे की सफलता, और अहंकार तथा ज़ायोनी शक्तियो की विफलता के लिए आयोजित की गई।
- और वह विरोध प्रदर्शन, जिन मे अमेरिकी राष्ट्रपति की धमकीयो के खिलाफ़ सदा ए हक़ उठाई गई, जो अद्ल व हक़ के ध्वजधारको की ज़बान हाल थी।
निश्चित रूप से यह कार्रवाई भारतीय भूमि के ग़य्यूर जनता की विलायत, मरजेईयत, इस्लामी क्रांति से प्रेम का रोशन सबूत है। यह दुआए, मुनाजात और फ़रयादे रब्बे ज़ुल जलाल के दरबार मे व्यर्थ नही जाऐंगी।
अब समय आ गया है कि विद्वान और मुबल्लेग़ीन हर संभव प्लेटफार्म और अवसर पर लाभ उठाते हुए हक़ीक़त जनता पर स्पष्ट करे कि मौजूदा कशमकश केवल भौगोलिक या राजनीति नही, बल्कि यह हक़ और बातिल, नूर व ज़ुलमत, ईमान और कुफ़्र के बीच एक बड़ा मारका है।
हम अल्लाह की बारगाह मे दुआ करते है कि हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा इमाम सय्यद अली ख़ामेनेई (दामा जिल्लोह आली) के उम्मते मुसलेमा के लिए सलामत और सुरक्षित रखे, उनके दुशमनो को अपमानित करे, और दुनिया भर के मज़लूमो को निजात , दृढ़ता और कामयाबी अता करे।
वस्सलामो अलैकुम वा रहमतुल्लाह वा बरकातोह
अब्दुल मजीद हकीम इलाही
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