हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , हुज्जतुल इस्लाम आली ने शहर ए खुमैनी में एक अज़ादारी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि ईश्वर ने अपने धर्म के लिए एक मुकम्मल योजना बनाई है, जिसके क्रियात्मक अंग हज़रत मुहम्मद स.अ. और उनके अहलेबैत अ.स. हैं।
लेकिन जिन और इंसानों के दुश्मन, खास तौर पर इबलीस (शैतान) और यहूदी क़ौम, इस वैश्विक दीन के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी रुकावट हैं।
उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इंसान को जिन्नों की या अन्य बाहरी ताक़तों से प्रभावित नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह ताक़तें कोई वास्तविक श्रेष्ठता की निशानी नहीं हैं इंसान की असली इज़्ज़त उसकी बंदगी, अल्लाह से क़रीबी और रूहानी बुलंदी में है। उन्होंने कहा कि जिन्नात से रिश्ता इंसान को गिरावट की तरफ ले जाता है और यह सिर्फ़ नुक़सानदेह ही नहीं बल्कि इंसानियत से दूरी का कारण भी बनता है।
उन्होंने कुरआन की आयत:
﴿ثُمَّ لَآتِيَنَّهُم مِّن بَيْنِ أَيْدِيهِمْ وَمِنْ خَلْفِهِمْ وَعَنْ أَيْمَانِهِمْ وَعَن شَمَائِلِهِمْ﴾
का हवाला देते हुए कहा कि शैतान चारों ओर से इंसान पर हमला करता है उसे आख़िरत से गाफ़िल, दुनिया परस्त, रियाकार और गुनाहों में डूबा हुआ बनाता है। मगर उन्होंने कहा कि दुआ और सज्दा (सजदा-ए-इलाही) ऐसे हथियार हैं जिनके सामने शैतान बेबस हो जाता है।
हुज्जतुल इस्लाम आली ने शहीद आयतुल्लाह मुहम्मद बाकिर अल-सद्र की बात का हवाला देते हुए कहा कि दज्जाल कोई एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक भ्रष्ट सांस्कृतिक ढाँचा है जो इंसान को केवल भौतिकता, लुत्फ़ और धन में बाँध देता है। आज का दज्जाल वही पश्चिमी भ्रष्ट संस्कृति है, जो यहूदी पूँजी और मीडिया के ज़रिए पूरी दुनिया में फैलाई जा रही है और इंसानियत को गुमराही में धकेल रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि यहूदियों का इतिहास हमेशा जादू, छल और शैतानी योजनाओं से जुड़ा रहा है और आज भी यही क़ौम दज्जाली व्यवस्था को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा कि इबलीस चाहे जितनी भी जानकारी रखता हो, बिना ईमान के निजात मुमकिन नहीं।
आख़िर में उन्होंने जवानों को चेतावनी देते हुए कहा कि,हक़ और बातिल की जंग कभी खत्म नहीं होती। अगर कोई नौजवान यह समझे कि जंग खत्म हो चुकी है, तो वह असल में दुश्मन के कब्ज़े में है।
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