हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार,निम्नलिखित रिवायत "बिहार उल-अनवार" किताब से ली गई है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
قال الامام الصادق عليه السلام:
مَن زارَ الحُسينَ عليه السلام عارِفا بِحَقِّهِ كَتَبَ اللّه ُ لَهُ ثوابَ ألفِ حَجَّةٍ مَقبولَةٍ و ألفِ عُمرَةٍ مَقبولَةٍ، و غَفَرَ لَهُ ما تَقَدَّمَ مِن ذَنبِهِ و ما تَأخَّرَ.
इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने फ़रमाया:
जो कोई इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत उनके हक़ और उनके मक़ाम के इल्म के साथ करेगा, अल्लाह तआला उसके आमाल की किताब में एक हज़ार क़बूल किए हुए उमराहों का सवाब लिख देगा, और उसके पिछले और आने वाले पापों को माफ़ कर देगा।
बिहार उल अनवार, भाग 100, पेज 257, हदीस 1
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